अहमदाबाद| राजस्थान के कोट स्थित जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत की सिलसिल लगातार जारी है। इसी बीच एक और बड़ी खबर ने सभी को चौंका दिया है। मामला अहमदाबाद के राजकोट का है। बताया जा रहा है कि यहां एक सिविल अस्पताल में पिछले एक महीने में 85 नवजात बच्चों ने दम तोड़ा है। जबकि पूरे राजकोट में पिछले महीने यानी दिसंबर में 134 नवजात बच्चों ने दम तोड़ा है। अहमदाबाद और राजकोट में पिछले एक महीने में 219 बच्चों की मौत हुई है। हालाकि इसके पीछे कारण बच्चों का कुपोषण का शिकार होना, जन्म से पहले बीमारी और वक्त से पहले बच्चे का जन्म समेत मां का खुद कुपोषित होना बताया जा रहा है।
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बच्चों की मौत पर अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर गुणवंत राठौर का कहना है, ‘हर महीने 400 से ज्यादा बच्चे अस्पताल में दाखिल होते हैं, उस हिसाब से मृत्युदर 20 फीसदी जितना ही है। यहां सुविधाओं की कमी नहीं है, निजी अस्पतालों और बाकी सरकारी अस्पतालों से बच्चा क्रिटिकल कंडीशन में सरकारी अस्पताल भेजा जाता है। ऐसे में बच्चों की मौत पर आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों में देखने को मिलता है। हर महीने 400 बच्चे अस्पताल में दाखिल होते है, जिसमें से 80 फीसदी बच्चे स्वस्थ होकर जाते हैं’।
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गुजरात सरकार ने सरकार ने खुद विधानसभा में स्वीकार किया था कि 2019 तक राज्य में कुपोषण से 1,41,142 बच्चे पीड़ित हैं। आदिवासी इलाकों में कुपोषण की हालत और भी खराब है। दाहोद और नर्मदा कुपोषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित जिले हैं। दाहोद में कुपोषित बच्चों की संख्या 14,191 है। जबकि नर्मदा जिले में 12,673 बच्चे कुपोषित हैं।
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राजस्थान के कोटा में बच्चों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर रविवार को 110 पहुंच गया है। बता दें कि अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद सरकार ने जांच पैनल नियुक्त किया था। विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हाइपोथर्मिया के कारण बच्चों की मौत हुई है। अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इसकी वजह हो सकती है।