अहमदाबाद, 14 अक्टूबर (भाषा) देशभर में लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर उन्हें ठगने वाला गिरोह चलाने के मामले में अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा ने ताइवान निवासी चार लोगों समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। गुजरात पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक तरह का साइबर अपराध है जिसमें पीड़ित को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अधिकारी उस पर धनशोधन, मादक पदार्थों की तस्करी या अन्य किसी अपराध को लेकर नजर रख रहे हैं और कार्रवाई कर सकते हैं।
इसमें आरोपियों द्वारा व्यक्ति को एकांतवास में रहने को कहा जाता है जिसमें वह वीडियो कॉल या अन्य किसी ऑनलाइन माध्यम से बातचीत के लिए सुलभ हो।
इसके बाद डरा-धमकाकर पीड़ित को इस सबसे छुटकारा पाने के लिए भारी रकम विभिन्न बैंक खातों में हस्तांतरित करने के लिए विवश किया जाता है।
संयुक्त आयुक्त (अपराध) शरद सिंघल ने कहा कि गिरोह ने एक वरिष्ठ नागरिक को 10 दिन तक ‘डिजिटली अरेस्ट’ किया और उन पर वीडियो कॉल के जरिए नजर रखकर उनसे ‘आरबीआई के एक मुद्दे’ को सुलझाने के लिए 79.34 लाख रुपये हस्तांतरित करा लिए।
पुलिस के अनुसार, वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत की कि कुछ लोगों ने खुद को ट्राई, सीबीआई और साइबर अपराध शाखा के अधिकारी होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते से अवैध लेनदेन हो रहा है।
सिंघल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले महीने शिकायत मिलने के बाद हमारी टीमों ने गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र में जगह-जगह छापेमारी की और देशभर में इस गिरोह को चलाने के आरोप में 17 लोगों को पकड़ा, जिनमें ताइवान के चार मूल निवासी भी शामिल हैं। हमारा मानना है कि उन्होंने अब तक करीब 1,000 लोगों को निशाना बनाया होगा।’’
अधिकारी ने कहा कि ताइवान के चार नागरिकों की पहचान मू ची सुंग (42), चांग हू युन (33), वांग चुन वेई (26) और शेन वेई (35) के रूप में की गई है। बाकी 13 आरोपी गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और राजस्थान के रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि ताइवान के चारों आरोपी पिछले एक साल से भारत आ रहे थे और उन्होंने गिरोह के सदस्यों को पैसा एक खाते से दूसरे खाते में भेजने के लिए मोबाइल फोन ऐप और अन्य तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
सिंघल ने बताया, ‘‘गिरोह जिन मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहा था उन्हें ताइवान के आरोपियों ने बनाया था। उन्होंने अपनी प्रणाली में ऑनलाइन वॉलेट भी जोड़ लिए। पीड़ितों से प्राप्त धन को इस ऐप के माध्यम से अन्य बैंक खातों और दुबई में क्रिप्टो खातों में भेजा जाता था। उन्हें ऐप के माध्यम से भेजे जाने वाले धन के लिए हवाला के रास्ते कमीशन भी मिलता था।’’
सिंघल ने कहा कि यह गिरोह विभिन्न कॉल सेंटर से संचालित किया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने 12.75 लाख रुपये नकद, 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल फोन, 96 चेक बुक, 92 डेबिट और क्रेडिट कार्ड और लेनदेन करने से संबंधित खातों की 42 बैंक पासबुक बरामद की हैं।
भाषा वैभव मनीषा
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