नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) सरकार ने देश के हितों को सर्वोपरि बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर वह सावधानीपूर्वक नज़र रख रही है, जिसमें चीन द्वारा जलविद्युत परियोजना बनाने की योजना भी शामिल है।
राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी बताया कि भारत सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए सीमा पार नदियों के मुद्दे पर चीन के साथ संपर्क में है।
उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए ‘‘निवारक और सुधारात्मक उपाय’’ किए जा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय से पूछा गया कि क्या यह सच है कि चीन ने यारलुंग त्सांगपो पर एक मेगा जलविद्युत परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी है, जबकि भारत ने इसके निचले इलाकों में जल प्रवाह और पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंता जताई है।
चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है।
सिंह ने कहा, ‘‘भारत सरकार का ध्यान तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी के निचले हिस्से पर स्वीकृत एक मेगा बांध परियोजना की चीन की घोषणा पर है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘चीन द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने की योजनाओं सहित ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर सावधानीपूर्वक नज़र रखती है, और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करती है। इसमें निचले इलाकों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए निवारक और सुधारात्मक उपाय शामिल हैं।’’
सिंह ने बताया कि सीमा पार नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चीन के साथ 2006 में स्थापित संस्थागत विशेषज्ञ स्तरीय व्यवस्था के दायरे में और राजनयिक माध्यम से चर्चा की जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पार नदियों के पानी को लेकर सरकार ने लगातार चीनी अधिकारियों को अपने विचार और चिंताओं से अवगत कराया है, और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ऊपरी इलाकों में किसी भी गतिविधि से निचले इलाकों के राज्यों के हितों को नुकसान न पहुंचे।’’
उन्होंने कहा कि चीन द्वारा मेगा बांध परियोजना की हाल ही में घोषणा के बाद, सरकार ने 30 दिसंबर, 2024 को चीनी पक्ष के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कीं जिनमें पारदर्शिता और ‘डाउनस्ट्रीम’ देशों के साथ परामर्श की आवश्यकता भी शामिल है।
भाषा
मनीषा अविनाश
अविनाश