Publish Date - September 4, 2024 / 06:32 PM IST,
Updated On - September 4, 2024 / 06:46 PM IST
Government’s measures for the safety of women doctors : नई दिल्ली। पिछले महीने के नौ तारीख को कोलकाता के अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप की घटन को अंजाम दिया गया था। आरोपी ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता की हत्या भी कर दी थी। शुरुआती जाँच में सामने आया था कि आरोपी बेरोक टोक अस्पताल में दाखिल हुआ था और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया।
इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। महिला चिकित्सकों के साथ अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठायें गए। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि महिला चिकित्सक और कर्मचारी नियोजित अस्पतालों में सुरक्षा के बंदोबस्त को मजबूत किया जाएँ।
SC के निर्देशों के अनुपालन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने 23 अगस्त को राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखा हैं। (Government’s measures for the safety of women doctors) इस पत्र में राज्य केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, उप राज्यपाल और पुलिस महानिदेशकों को अस्पताल और हॉस्टल्स में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाये जानें के साथ महिला कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सुविधाएं बढाए जाने के निर्देश दिए गए है।
क्या लिखा है खत में?
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव अपूर्व चंद्र की तरफ से भेजे गए पत्र में में कहा, ‘इस संबंध में, निम्नलिखित कुछ तत्काल कदम हैं, जिन पर स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित माहौल प्रदान करने के वास्ते विचार किया जा सकता है।’
– स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य के कानून और भारतीय न्याय संहिता से जुड़ी धाराओं के साथ-साथ सजा के बारे में स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में अस्पताल परिसर में प्रमुख जगहों पर प्रदर्शित किया जाए।
– अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा रोकथाम समिति बनाई जाए, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल हों।
– रात की ड्यूटी के दौरान अस्पताल के अलग-अलग हिस्सों, हॉस्टल बिल्डिंग और दूसरे एरिया में रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों के आने जाने और घूमने फिरने पर सुरक्षा के उपाय किए जाएं। (Government’s measures for the safety of women doctors) अस्पताल के सभी एरिया में सही रोशनी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
– पत्र में इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि रात में अस्पताल परिसर में रेगुलर गश्त होनी चाहिए, 24 घंटे काम करने वाले सिक्योरिटी कंट्रोल रूम और नजदीकी पुलिस स्टेशन के साथ संपर्क होना चाहिए।
– इसमें यह भी बताया गया कि यौन उत्पीड़न के संबंध में अस्पतालों की ओर से एक इंटरनल कमेटी बनाई जानी चाहिए और cctv कैमरों के स्टेटस और जरूरत की समीक्षा की जानी चाहिए।
– कंट्रोल रूम की ओर से डिस्ट्रेस कॉल पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
– फायर मॉक ड्रिल की तरह ही सुरक्षा के लिए रेगुलर मॉक ड्रिल होना चाहिए।
– सुरक्षा कर्मियों को क्षमता बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, क्योंकि कई प्रतिष्ठानों में देखा गया है कि उनमें अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने की भी क्षमता नहीं है।