जयपुर: Forcibly Retired Employees लोकसभा चुनाव के बीच प्रदेश की डबल इंजन की सरकार प्रशासनिक महकमे में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। एक ओर जहां सरकार आचार संहिता हटते ही नई तबादला नीति लागू करने वाली है तो दूसरी ओर अब खबर आ रही है कि अफसरों व कर्मचारियों को जबरन रिटायर किए जाने की तैयारी चल रही है। खबर ये भी है कि प्रदेश सरकार ने जबरन रिटायरमेंट किए जाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची भी बनानी शुरू कर दी है।
Forcibly Retired Employees मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान की डबल इंजन की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त और नॉन परफार्मर सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट देने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि भजनलाल शर्मा सरकार के राडार में 15 साल की नौकरी पूरी करने वाले कर्मचारी हैं। इनको 3 महीने का नोटिस दिया जाएगा कहा जा रहा हैकि सरकार ने विभागवार सूची बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
नोटिस पीरियड की जगह तीन महीने की एडवांस सैलरी और भत्ते देकर भी तुरंत रिटायर किया जा सकता है। इस संबंध में राजस्थान के मुख्य सचिव आईएएस सुधांश पंत ने भी विभागों को भ्रष्ट, काम नहीं करने वालों की सूची बनाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि राजस्थान में जरूरत पड़ने पर सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के तहत अनिवार्य रिटायरमेंट का प्रावधान है। जबरन रिटायर करने वाले कर्मचारी-अधिकारियों की छंटनी सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) से भी होती है।
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नया ट्रांसफर सिस्टम लागू हो जाएगा। इसके तहत राजस्थान में भी अब केंद्र सरकार की तरह तबादला नीति लागू होगी। इसको लेकर पूरा सिस्टम तैयार कर लिया गया है। इसके बाद नई ट्रांसफर प्रणाली लागू होते ही राजस्थान के सरकारी विभागों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसको लेकर राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने पूरा खाका तैयार कर लिया हैं। अब माना जा रहा है कि 4 जून को चुनाव परिणाम आने की बाद राजस्थान में भी नई तबादला नीति लागू हो जाएगी। इसके बाद राजस्थान के सभी जिलों में कलेक्टर और एसपी भी बदल जाएंगे।
केंद्र सरकार में बनी तबादला नीति की तर्ज़ पर CS सुधांश पंत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशों के आधार पर नई तबादला नीति तैयार की है। राजस्थान में लंबे समय से इस तबादला नीति की मांग की जा रही थी। अब तबादला नीति के सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है। इसके चलते नई तबादला नीति में सरकारी विभागों में तबादलों में राजनीतिक दखल को खत्म करने के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्मिकों की पोस्टिंग को लेकर आने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि राजस्थान में सरकारी अफसर को जबरन रिटायर करने का मामला साल 2018 में सामने आ चुका है। आईएएस अधिकारी जुल्फिकार अहमद खान ने छह साल तक लगातार सालाना गोपनीय रिपोर्ट नहीं भरी थी। इसलिए उनको 31 अक्टूबर 2018 में उसी आधार पर जबरन हटा दिया था। इनके अलावा 29 मार्च 2018 को आईपीएस इंदु भूषण को भी जबरन रिटायर किया गया था। उन पर राज्यपाल से उलझने का आरोप था। राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के कार्याकाल में पुलिस, राजस्व समेत कई विभागों के दागी अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया था। आईपीएस इंदु भूषण भी उन्हीं मे से एक थे। उस समय आईपीएस व आईएएस के जबरन रिटायरमेंट का केस चर्चा में रहा था।