नई दिल्ली: मंदी का मार झेल रही मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। खबर है कि मोदी सरकार देश की कई सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। खबर यह भी है कि दीवाली से पहले सरकार इसका पूरा मसौदा तैयार कर लिया जाएगा। वहीं अब नई पॉलिसी के तहत नीति आयोग और विनिवेश व पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग (दीपम) को नोडल विभाग बना दिया गया है। दीपम, नीति आयोग के साथ मिलकर के उन कंपनियों को देखेगा, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। वहीं दीपम विभाग के सचिव विनिवेश के लिए बने अंतर-मंत्रालय समूह के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं।
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सरकार के इस फैसले पर अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने जिन कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है, उनकी दो चरणों में निलामी की जाएगी। पहले चरण में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया जाएगा और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी। बताया जा रहा है पूरे प्रोसेस में 5 माह का वक्त लगेगा।
जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है, उनमें प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भी शामिल है। इसके अलावा भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। कंटेनर कॉरपोरेशन में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा टीएचडीसी और नीपको में अपनी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचने जा रही है।
विनिवेश पर चर्चा के लिए सरकार ने बीते दिनों अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में आठ सचिव सहित कई बड़े अधिकारी मौजूद थे। इनमें दीपम, कानून सचिव, रेवेन्यू सेक्रेटरी, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी, कॉरपोरेट अफेयर सेक्रेटरी भी शामिल रहे।
इस विनिवेश के बाद सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट का प्रारूप तैयार करेगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों का समूह एक पखवाड़े में फैसला लेगा। इसके बाद सरकार एयर इंडिया की 30 हजार करोड़ का कर्ज अपने उपर लेगी।
बीपीसीएल का नेटवर्थ 55 हजार करोड़
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपए की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।
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