QR code on medicines : नई दिल्ली। दवाइयां हम सभी के जीवन का एक बहुत जरूरी हिस्सा है। जब भी हम बीमार पड़ते हैं तो हमें दवाइयों की जरूरत पड़ती है। आजकल मार्केट में कई नकली दवाइयां आ गई हैं। ऐसे में इन दवाइयों पर नकेल कसने के लिए एक बेहद जरूरी फैसला लिया है। इस फैसले में सरकार ने दवा पर क्यूआर कोड यानी बारकोड लगाना आवश्यक होगा। यह क्यूआर कोड 1 अगस्त 2023 से लगाना आवश्यक होगा। सरकार ने यह आदेश दवा बनाने वाली सभी फर्मा कंपनी को दे दिया है।
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जानकारी के मुताबिक इसमें 100 रुपये प्रति स्ट्रिप से अधिक की एमआरपी वाली बड़ी संख्या में बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, दर्द निवारक गोलियां और एंटी-एलर्जी दवाओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस कदम का संकल्प हालांकि एक दशक पहले लिया गया था लेकिन घरेलू फार्मा उद्योग में जरूरी तैयारियों की कमी के कारण इसे रोक दिया गया था। यहां तक कि निर्यात के लिए भी ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म को अगले साल अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। जबकि पिछले कुछ साल में बाजार में नकली और घटिया दवाओं के कई मामले सामने आए हैं।
QR code on medicines : हाल ही में सामने आए एक बड़े मामले में तेलंगाना ड्रग्स अथॉरिटी ने थायरॉयड की दवा थायरोनॉर्म की गुणवत्ता को खराब पाया। उसे बनाने वाली दवा कंपनी एबॉट ने कहा कि उसकी थायरॉयड की दवा थायरोनॉर्म नकली थी। जबकि एक अन्य उदाहरण में बद्दी में ग्लेनमार्क की ब्लड प्रेशर की गोली टेल्मा-एच के नकली ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 10% मेडिकल प्रोडक्ट घटिया या नकली होते हैं। हालांकि ये दुनिया के हर इलाके में पाए जा सकते हैं।
QR code on medicines : एक बार सरकार के उपाय और जरूरी सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय के एक पोर्टल (वेबसाइट) पर यूनिक आईडी कोड फीड करके कंज्यूमर दवा की असलियत की जांच कर सकेंगे। वे बाद में इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी ट्रैक कर सकेंगे। सूत्रों ने कहा कि पूरे दवा उद्योग के लिए सिंगल बारकोड देनेवाली एक केंद्रीय डेटाबेस एजेंसी स्थापित करने सहित कई विकल्पों का अध्ययन किया जा रहा है। इसे लागू करने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।