सरकार भ्रम में है कि केवल पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन में शामिल हैं: सोरेन

सरकार भ्रम में है कि केवल पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन में शामिल हैं: सोरेन

सरकार भ्रम में है कि केवल पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन में शामिल हैं: सोरेन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:21 pm IST
Published Date: January 21, 2021 1:48 pm IST

(आसिम कमाल)

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कृषि कानूनों को रद्द करने के बजाय इनके कार्यान्वयन पर रोक लगाने के केन्द्र सरकार के प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार इस ”भ्रम” में है कि इस ”जंग” में केवल पंजाब और हरियाणा के किसान शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि देशभर के किसान इन ”दमनकारी” कानूनों को निरस्त कराना चाहते हैं।

 ⁠

उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा सहानुभूतिपूर्वक किसानों के आंदोलन का हल नहीं निकाला गया तो यह जल्द ही देश के अन्य हिस्सों में फैल जाएगा।

सोरेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में यह भी कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि को नुकसान हुआ है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन ने कहा कि महीनों तक किसानों को सड़कों पर रहने को मजबूर करने के बाद केन्द्र सरकार ने इन विवादित कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने के बजाय इनके कार्यान्वय पर डेढ़ साल की रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है।

सोरेन ने कहा, ”सरकार गलतफहमी में है कि केवल पंजाब और हरियाणा के किसान ही इस जंग में शामिल हैं। वह बहुत बड़े भ्रम में जी रहे हैं। देशभर के किसानों चाहे वे हिमाचल प्रदेश के हों या उत्तर प्रदेश के या फिर पूर्वोत्तर अथवा कहीं और के, सभी की भावनाएं समान हैं।”

उन्होंने कहा, ”वे सभी (किसान) जमीन से जुड़े हुए हैं। हमने पिछले साल एनआरसी-सीएए को लेकर भी इसी तरह के प्रदर्शन देखे थे, जो एक विश्वविद्यालय से शुरू हुए और बाद में पूरे देश को अपनी जद में ले लिया।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान इनका कड़ा विरोध कर रहे हैं तो सरकार इन्हें वापस क्यों नहीं ले लेती?

उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ”तानाशाही रवैया” दिखा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ”नए कृषि कानून दमनकारी हैं। इनसे कालाबाजारी और जमाखोरी बढ़ेगी। मैं इन कानूनों का समर्थन नहीं कर सकता। ऐसा कैसे संभव है कि केन्द्र सरकार का आलाकमान लगभग दो महीने से प्रदर्शनकारी किसान निकायों द्वारा रखी गईं मांगों पर कोई सर्वमान्य समाधान नहीं निकाल पा रहा? ”

सोरेन से जब पूछा गया कि क्या झारखंड सरकार कांग्रेस शासित कुछ राज्यों की तरह कृषि कानूनों के खिलाफ कानून पारित करेगी तो उन्होंने कहा कि उनकी सरकार घटनाक्रमों पर करीबी नजर बनाए हुए है और इस संबंध में केन्द्र सरकार के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करेगी।

उन्होंने कहा, ”किसान देशवासियों का पेट पालते हैं। वे केवल अपनी उपज के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम इस मामले में उच्चस्तरीय समिति का गठन करके ठोस समाधान की सिफारिश करेंगे।”

भाषा जोहेब नरेश

नरेश


लेखक के बारे में