प्रतिकूल कब्जे के जरिये सरकार के भूमि कब्जा करने से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन:न्यायालय

प्रतिकूल कब्जे के जरिये सरकार के भूमि कब्जा करने से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन:न्यायालय

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  • Publish Date - November 20, 2024 / 01:14 AM IST,
    Updated On - November 20, 2024 / 01:14 AM IST

नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार को प्रतिकूल कब्जे के जरिये निजी संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति देने से नागरिकों के संवैधानिक अधिकार कमजोर होंगे तथा सरकार में जनता का विश्वास घटेगा।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने हरियाणा सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने एक निजी पक्ष को भूमि का कब्जा बहाल करने का आदेश दिया गया था, जिस पर राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने अपना दावा किया था।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमें अपीलकर्ताओं की दलीलों में कोई दम नहीं दिखता। उच्च न्यायालय का फैसला ठोस कानूनी सिद्धांतों और साक्ष्यों के सही मूल्यांकन पर आधारित है। वादी (निजी पक्ष) ने मुकदमे की संपत्ति पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया है, और सरकार अपने ही नागरिकों के खिलाफ प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकती।’’

यह विवाद हरियाणा के बहादुरगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भूमि से संबंधित है, जो दिल्ली और बहादुरगढ़ को जोड़ता है।

भाषा सुभाष

सुभाष

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