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नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने जनजातीय लोगों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिन्हें भारत की आजादी के बावजूद दशकों तक नजरअंदाज किया गया।
संसद के बजट सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि दलित, आदिवासी और वंचित लोग सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से सर्वाधिक लाभान्वित हो रहे हैं।
देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘‘हमारे आदिवासी समुदायों को स्वतंत्रता प्राप्ति के बावजूद दशकों तक नजरअंदाज किया गया। मेरी सरकार ने उनके कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।’’
उन्होंने कहा कि ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘पीएम जनमन योजना’ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
मुर्मू ने कहा कि सरकार ने देश में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 670 से अधिक विशेष स्कूल या एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल (ईएमआरएस) स्थापित किए हैं और इनमें वर्तमान में लगभग 1.25 लाख आदिवासी छात्र अध्ययनरत हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में देश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 30 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए हैं।
मुर्मू ने कहा कि उनकी सरकार ने आदिवासी समुदायों में होने वाले सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए एक विशेष मिशन भी शुरू किया है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन’ के तहत अब तक पांच करोड़ आदिवासी लोगों की जांच की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच करोड़ आदिवासी लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ शुरू किया है।
इस पहल को मूल रूप से प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (पीएम जुगा) के रूप में पेश किया गया था ताकि आदिवासी समुदायों के घरों, गांवों और महत्वपूर्ण आदिवासी आबादी वाले आकांक्षी ब्लॉक में एक निश्चित समय सीमा के भीतर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए इस समुदाय का उत्थान किया जा सके।
भाषा मनीषा माधव
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