सरकार ने गैर-वन विभागों को वन क्षेत्रों में आपदा निवारण कार्य शुरू करने की अनुमति दी

सरकार ने गैर-वन विभागों को वन क्षेत्रों में आपदा निवारण कार्य शुरू करने की अनुमति दी

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  • Publish Date - October 2, 2024 / 01:48 PM IST,
    Updated On - October 2, 2024 / 01:48 PM IST

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) केंद्र ने कहा है कि राज्य वन विभाग के पास आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में आपात स्थितियों में वहां अन्य सरकारी विभागों को प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए वन क्षेत्रों में वानिकी गतिविधियां चलाने की अनुमति दी जा सकती है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देश में विस्तार से उन उपायों का उल्लेख किया है जिन्हें वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनके प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पत्र लिखकर जंगल में बार-बार आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रभावी उपाय तलाशने और विकसित करने को कहा था, जिसके बाद ये दिशानिर्देश जारी किए गए।

पत्र में आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में समय से पहले वन कर्मचारियों को तैयार करने के लिए ‘मॉक ड्रिल’ का भी आह्वान किया गया है तथा सरकारी विभागों को वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।

मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई।

मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

इन गतिविधियों में ‘फायर लाइन’ स्थापित करना और उनका रखरखाव करना तथा मृदा एवं जल संरक्षण के लिए चेक डैम, जल टैंक, खाइयों और पाइपलाइन जैसी संरचनाओं का निर्माण करना शामिल है।

हालांकि मंत्रालय ने कहा, ‘‘अपवाद वाली परिस्थितियों में और राज्य वन विभाग में तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में प्राकृतिक आपदा को रोकने के उद्देश्य से शुरू में ही कुशल तथा प्रभावी कार्य सुनिश्चित करके अन्य सरकारी विभागों को वन क्षेत्र में मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों के माध्यम से वानिकी गतिविधियों के कार्यान्वयन की अनुमति दी जा सकती है।’’

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि केवल वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 तथा केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित कार्य योजना के अनुरूप वानिकी गतिविधियों की ही अनुमति होगी।

इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत राज्य वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है।

भाषा

सुरभि नरेश

नरेश