गोवा के जनजाति समुदाय से संबंधित विधेयक लोकसभा में पेश

गोवा के जनजाति समुदाय से संबंधित विधेयक लोकसभा में पेश

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  • Publish Date - December 17, 2024 / 06:07 PM IST,
    Updated On - December 17, 2024 / 06:07 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) लोकसभा में मंगलवार को गोवा से संबंधित एक विधेयक पेश किया गया जिसमें राज्य में अनुसूचित जनजाति की आबादी बढ़ने के मद्देनजर राज्य विधानसभा में सीटों के पुन: समायोजन का प्रावधान है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘गोवा राज्य, सभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुन: समायोजन विधेयक, 2024’ सदन में पेश किया।

विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए सदन में रखते हुए मेघवाल ने कहा, ‘‘इस विधेयक का सीमित उद्देश्य है। दो दशक पहले परिसीमन हुआ और उस वक्त राज्य में जनजाति की कुल आबादी 566 थी। गोवा में एक विधेयक पारित किया गया, जिसमें तीन नए समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया जिसके बाद एसटी की आबादी बढ़ गई।’’

उनका कहना था कि अब गोवा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की संख्या करीब डेढ़ लाख हो गई है और ऐसे में सीटों के पुन:समायोजन की जरूरत पड़ी।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद विरियातो फर्नांडीस ने कहा कि इस विधेयक का मकसद विधानसभा में अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व प्रदान करने का है।

उन्होंने कहा कि गोवा के एसटी समुदाय को अब तक उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था।

फर्नांडीस ने कहा कि सरकार ने अगर कदम उठाया है तो उसे इस पर गंभीरता दिखानी होगी।

उन्होंने कहा कि जनजाति समुदाय के लिए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा काम दिया है।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद धवल पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकारों ने आदिवासियों के विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया, लेकिन भाजपा सरकार ने इस समुदाय के लिए अलग मंत्रालय और आयोग बनाया।

उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में आदिवासियों के लिए बजट बढ़ाया गया है।

पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के पद पर आसीन हों।

समाजवादी पार्टी के सांसद छोटे लाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने आदिवासियों की उपेक्षा की।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद प्रतिमा मंडल ने कहा कि सरकार ने इस विधेयक को लाने में विलंब किया।

द्रमुक नेता एम कथिर आनंद ने कहा कि नई जनगणना कराई जाए और जातिगत आंकड़ों के आधार पर हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को महिला आरक्षण विधेयक जल्द सभी राज्यों में लागू करना चाहिए।

चर्चा में भाजपा के तापिर गाव और राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने भी भाग लिया।

भाषा हक वैभव

हक वैभव

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