गोवा के विधायकों की अयोग्यता संबंधी विधानसभाध्यक्ष के निर्णय के विरुद्ध याचिका पर सुनवाई से इनकार

गोवा के विधायकों की अयोग्यता संबंधी विधानसभाध्यक्ष के निर्णय के विरुद्ध याचिका पर सुनवाई से इनकार

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  • Publish Date - December 13, 2024 / 05:42 PM IST,
    Updated On - December 13, 2024 / 05:42 PM IST

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस से 2022 में दलबदल कर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए आठ विधायकों को अयोग्य ठहराने की कांग्रेस की अर्जी खारिज करने के गोवा विधानसभा के अध्यक्ष के फैसले के विरूद्ध दायर एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘वह पहली अपीलीय अदालत नहीं बनेगी।’’

पीठ ने कांग्रेस नेता गिरीश चोडनकर को विधानसभाध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने के लिए बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में जाने को कहा।

चोडनकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर ने कांग्रेस विधायकों के दलबदल के कारण उनकी अयोग्यता अर्जी पर निर्णय लेने में 720 दिन लगा दिए।

सिंघवी ने कहा कि विधानसभा के पिछले कार्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों के दलबदल के बाद इसी तरह की अर्जी पर निर्णय लेने में विधानसभा अध्यक्ष ने 622 दिन लगा दिए थे।

वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि विधानसभाध्यक्ष की ओर से देरी से लिए गए निर्णय विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही अयोग्यता संबंधित ऐसी अर्जियों को निरर्थक बना देते हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप अनुच्छेद 136 के तहत विधानसभाध्यक्ष के आदेश के खिलाफ आये हैं, ऐसा कैसे हो सकता है?… आपको रिट (उच्च न्यायालय में याचिका) दायर करनी होगी।’’

पीठ ने कहा , ‘‘ हम अनुच्छेद 136 की याचिका पर गौर नहीं कर सकते हैं। हम पहली अपीलीय अदालत नहीं बनेंगे।’’

इसके बाद सिंघवी ने याचिका वापस ले ली। पीठ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता के लिए उच्च न्यायालय में याचिका के शीघ्र निपटान की मांग करने का विकल्प खुला रहेगा।

एक नवंबर को गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर ने भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के आठ विधायकों के खिलाफ पार्टी द्वारा दायर की गयी अयोग्यता अर्जी को खारिज कर दिया था।

गोवा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख चोडनकर ने विधायकों– दिगंबर कामत, एलेक्सी सेक्वेरा, संकल्प अमोनकर, माइकल लोबो, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, रुडोल्फ फर्नांडीस और राजेश फलदेसाई के खिलाफ अयोग्यता अर्जी दायर की थी।

चोडनकर ने अर्जी में विधानसभाध्यक्ष से संविधान के अनुच्छेद 191 के साथ साथ दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद दो के तहत आठ विधायकों को इस आधार पर अयोग्य घोषित करने की मांग की थी कि उन्होंने मूल पार्टी (कांग्रेस) की सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ दी थी, जबकि इस पार्टी के टिकट पर उन्होंने आठवीं गोवा विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा था और जीते थे।

चोडनकर की अर्जी खारिज करते हुए तावड़कर ने फैसला सुनाया था, ‘‘निर्वाचित सदस्य की मूल राजनीतिक पार्टी के किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में विलय होने पर, निर्वाचित सदस्य को किसी भी स्थिति में अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा, यानी चाहे वह विलय के (निर्णय)साथ जाना चाहे या उससे असहमत हो।’

चोडनकर ने कहा था,‘‘यह निर्विवाद तथ्य है कि प्रतिवादी वर्तमान विधानसभा के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे और अब वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं।’’

अध्यक्ष के समक्ष दायर अर्जी में तर्क दिया गया कि इस मामले में कोई वैध विलय नहीं हुआ है, क्योंकि राजनीतिक दलों के विलय के लिए विधायक दल के दो-तिहाई सदस्यों की सहमति की दोहरी आवश्यकता पूरी नहीं हुई है।

हालांकि, आठ विधायकों ने कहा कि (14 सितंबर, 2022 के संचार के जरिये) विधानसभा अध्यक्ष ने इस बात को दर्ज किया था कि विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का भाजपा में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया था।

तावड़कर ने व्यवस्था दी थी कि विलय के मामले में दलबदल के आधार पर अयोग्यता व्यवस्था लागू नहीं होगी।

भाषा

राजकुमार संतोष

संतोष