पणजी, 30 अक्टूबर (भाषा) गोवा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक राज्य में कम से कम 11,000 महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य रखा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) की परियोजना निदेशक दीपाली नाइक ने बताया कि गोवा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 3,804 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए गए हैं, जिनमें 48,306 सदस्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया, “स्वयं सहायता समूह को ग्राम संगठनों (वीओ) के जरिए सामुदायिक निवेश निधि (सीआईएफ) से 1,952.78 लाख रुपये और एक अन्य कोष से 828.04 लाख रुपये की सहायता दी जाती है।”
लखपति दीदी स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक होती है।
नाइक ने बताया कि 184 ग्राम संगठनों को 137.49 लाख रुपये की ‘स्टार्ट-अप’ निधि प्राप्त हुई है और 791 स्वयं सहायता समूहों ने 3,646.96 लाख रुपये की बैंक ऋण राशि प्राप्त की है।
उन्होंने बताया कि गोवा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (जीएसआरएलएम) ने 23,556 स्वयं सहायता समूह सदस्यों के लिए स्वरोजगार, आजीविका और उद्यमिता के अवसर सृजित किए हैं।
नाइक ने बताया कि सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक 11,000 महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।
ग्रामीण विकास एजेंसी में कार्यक्रम कार्यान्वयन अधिकारी संगम पाटिल ने कहा कि महिला उद्यमियों को लखपति दीदी बनने के लिए हरसंभव सहायता प्रदान की जाती है।
लखपति दीदियों की सफलता की कहानियां ग्रामीण क्षेत्रों में गूंजती हैं।
लखपति दीदी बनी स्नेहा नाइक राज्य में कुनबी साड़ी तैयार करने के उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रही हैं।
स्नेहा, भूतनाथ स्वयं सहायता समूह की प्रमुख हैं। नाइक खुद को सशक्त महसूस करती हैं और उनका कहना है कि वह चाहती हैं कि उनके समूह की सभी सदस्य लखपति दीदी बनें।
भाषा जितेंद्र अविनाश
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