नई दिल्ली: कोरोना (Corona) काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लाखों लोगों ने आयुर्वेद (Ayurveda) का सहारा लिया है। आयुर्वेदिक उत्पादों में गिलोय, अश्वगंधा जैसे कई उत्पादों को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया और कई मीडिया संस्थानों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि गिलोय (Giloy) के इस्तेमाल से छह मरीजों का लीवर फेल हो गया था। लेकिन आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) ने इस दावे को खारिज किया है।
आयुष मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट्स को भ्रामक करार देते हुए कहा है कि गिलोय को लिवर की खराबी से जोड़ना बिल्कुल भ्रामक है| गिलोय के रूप में प्रकृति ने मानव जाति को अद्भुत वरदान दिया है। भारतीय चिकित्सा में गिलोय अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो गिलोय के अनगिनत फायदे हैं लेकिन इन रोगों में यह कैसे लाभकारी है, आप भी देखिए। इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।
अखबार में छपे लेख का आधार सीमित और भ्रामक अध्ययन है। इसमें तमाम समीक्षाओं, प्रामाणिक अध्ययनों पर ध्यान नहीं दिया गया है, जिनसे पता चलता है कि टी. कॉर्डीफोलिया कितनी असरदार है। लेख में न तो किसी प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह ली गई है और न आयुष मंत्रालय की। पत्रकारिता के नजरिये से भी यह लेख दुरुस्त नहीं है।
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संदर्भित अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि टिनोसपोरा कॉर्डीफोलिया (टीसी) जिसे आम भाषा में गिलोय या गुडुची कहा जाता है, उसके इस्तेमाल से मुम्बई में छह मरीजों का लीवर फेल हो गया था।
— Ministry of Ayush (@moayush) July 7, 2021