जर्मनी की सरकार ने भारत के साथ संबंधों को आगे ले जाने के लिए अहम दस्तावेज को मंजूरी दी : राजदूत

जर्मनी की सरकार ने भारत के साथ संबंधों को आगे ले जाने के लिए अहम दस्तावेज को मंजूरी दी : राजदूत

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  • Publish Date - October 23, 2024 / 08:19 PM IST,
    Updated On - October 23, 2024 / 08:19 PM IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने बुधवार को कहा कि जर्मनी के मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज ‘फोकस आन इंडिया’ को मंजूरी दी है जिसमें सभी मंत्रालय और विभाग इस बात पर सहमत हुए हैं कि द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर तक कैसे ले जाया जाए।

एकरमैन ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले बुधवार को यहां अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘‘हमारे पास बहुत सी चीजें होंगी’’ जिन पर शुक्रवार को चर्चा की जाएगी जब चांसलर और जर्मनी के पांच संघीय मंत्री नयी दिल्ली में होंगे।

पच्चीस अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चांसलर सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी एक संपूर्ण सरकारी ढांचा है, जिसके तहत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं।

आईजीसी एक द्विवार्षिक कवायद है और पिछली बार इसका आयोजन मई 2022 में बर्लिन में किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चांसलर के बीच बैठक में जर्मन-भारतीय हरित और सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) पर सहमति बनी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस द्विवार्षिक कवायद से द्विपक्षीय संबंधों के मामले में अगले दो वर्षों के लिए एक रूपरेखा तैयार होगी। समय के साथ ही, ये द्विपक्षीय संबंध और अधिक विस्तृत होते जा रहे हैं। मैं कहूंगा, कई चीजों पर शुक्रवार को चर्चा होगी जब चांसलर और पांच मंत्री आएंगे।’’

उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि चांसलर शोल्ज की यात्रा के दौरान जर्मनी के कई मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, श्रम एवं सामाजिक मामलों के मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और जर्मन वाइस चांसलर और आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हेबेक शामिल होंगे।

राजदूत ने कहा कि वित्त, सहयोग और विकास के उप मंत्रियों के अलावा पर्यावरण मंत्री भी आएंगे।

एकरमैन ने कहा कि वह जर्मन कैबिनेट द्वारा पिछले बुधवार को मंजूर किये गए दस्तावेज की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।

‘फोकस आन इंडिया’ नामक यह दस्तावेज ‘‘जर्मन सरकार द्वारा देश को समर्पित किया गया पहला दस्तावेज है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘इस दस्तावेज में जर्मन सरकार के सभी मंत्रालय और विभाग एक साथ आए हैं और इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत-जर्मनी संबंधों को अगले स्तर तक कैसे ले जाया जाए।’’

राजदूत ने कहा कि यह एक ऐसा दस्तावेज है जो ‘‘पारस्परिक सहयोग के सभी क्षेत्रों’ को शामिल करता है।

सोलह अक्टूबर को जर्मनी के मंत्रिमंडल ने महत्वपूर्ण रणनीतिक दस्तावेज को मंजूर किया जो भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की भविष्य की दिशा पर प्रकाश डालता है।

जर्मनी के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, ‘‘जर्मन सरकार 2000 से भारत के साथ हमारे संबंधों को आधार देने वाली रणनीतिक साझेदारी को एक नये स्तर तक ले जाना चाहती है। क्रियान्वयन की दिशा में पहले कदमों पर महीने के अंत में अगले भारत-जर्मन अंतर-सरकारी परामर्श में सहमति बनेगी।’’

इसने कहा कि जर्मनी अगले साल भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मनाएगा। इसलिए, यह उचित है कि जर्मन सरकार भारत के साथ अपने सहयोग को भविष्य के लिए उपयुक्त बनाने की खातिर व्यापक रूप से आगे बढ़ाए।

उसने कहा कि ऐसा करके, जर्मन सरकार व्यापार, शिक्षा, मीडिया और समाज के हितधारकों के साथ-साथ संघीय राज्यों के बीच भारत के बारे में अधिक जागरूकता को प्रोत्साहित करना चाहती है, ताकि देश के बढ़ते महत्व को दर्शाया जा सके।

विदेश मंत्रालय ने पहले एक बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर शोल्ज 24 से 26 अक्टूबर तक भारत की राजकीय यात्रा पर आएंगे। बयान में कहा गया कि दोनों नेता रक्षा, व्यापार और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक वार्ता करेंगे।

एकरमैन ने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘हमें लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था बेहद नवीन है और तेज गति से बढ़ रही है। हम इस प्रगति और इस नवीन विकास का हिस्सा बनना चाहते हैं।’’

उन्होंने 25-26 अक्टूबर को नयी दिल्ली में होने वाले 18वें एशिया-प्रशांत जर्मन उद्योग सम्मेलन के बारे में भी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भी एक द्विवार्षिक कवायद है और पिछला सम्मेलन 2022 में सिंगापुर में आयोजित किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक संकेत है, इसका मतलब है कि जर्मन व्यवसायी नयी रुचि के साथ भारत की ओर देख रहे हैं। भारत जर्मनी के लिए बहुत ही दिलचस्प संभावित बाजार है और जर्मन व्यवसायों के लिए निवेश है। जर्मनी में भी भारतीय व्यवसाय बढ़ रहे हैं और हम इस बात से बहुत खुश हैं।’’

उन्होंने कहा कि जर्मन कंपनियों के लगभग 800 सीईओ आएंगे, जिनमें मर्सिडीज और सीमेंस जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शोल्ज दोनों ही उद्योग जगत के दिग्गजों की इस बैठक को संबोधित करेंगे जिसका उद्घाटन जर्मन वाइस चांसलर एवं आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हेबेक और भारतीय मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों मंत्री साझा बैठकें भी करेंगे।

चांसलर शोल्ज गोवा भी जाएंगे, जहां जर्मन नौसेना का फ्रिगेट ‘‘बैडेन-वुर्टेमबर्ग’’ और लड़ाकू सहायता जहाज ‘‘फ्रैंकफर्ट एम मेन’’ हिंद-प्रशांत तैनाती के लिए जाने के दौरान रुकेंगे।

राजदूत ने कहा, ‘‘पोत इस ठहराव से पहले, मुझे लगता है, भारत और जर्मनी के बीच एक साझा नौसेना अभ्यास होगा।’’

हाल ही में संपन्न ‘तरंग शक्ति’ अभ्यास के बारे में उन्होंने कहा, यह ‘‘हमारे लिए पहली बार बहुत सफल रहा और हमने इसे फिर से करने का फैसला किया है।’’

भाषा अमित अविनाश

अविनाश