नई दिल्ली: गीता प्रेस हिन्दू धार्मिक ग्रंथों, आध्यात्मिक किताबों की दुनिया की सबसे बड़ी प्रकाशक है। इस साल इस प्रेस ने पूरे सौ साल कर लिए हैं। ऐसे में गीता प्रेस को गाँधी शांति सामान से नवाजा गया है। ये सम्मान ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए दिया जाता रहा है। (Geeta Press Gandhi Peace Award Controversy) लेकिन इस फैसले पर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर ना सिर्फ सवाल उठाएं बल्कि इसकी तुलना सावरकर और गोडसे से कर दी।
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जयराम रमेश अपने ट्वीट के बाद भाजपा नेता और हिंदूवादी नेताओं के निशाने पर आ गए। मध्यप्रदेश की पर्यटन और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने उनपर हमला बोला है। उन्होंने देश के लोगों से प्रार्थना करते हुए उनसे राष्टद्रोहियों की पहचान की अपील की है। उन्होंने कहा कि ये वही है जो कभी वीर सावरकर कि पट्टिका उखाड़ देते है।
उषा ठाकुर ने कहा कि गीता प्रेस नहीं होती तो सनातन का साहित्य हम तक नहीं पहुंचता। (Geeta Press Gandhi Peace Award Controversy) जिस सेवा भाव से गीता प्रेस गोरखपुर सेवा करता है, देश और विश्व का बड़ा सम्मान मिलना ही चाहिए।
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गौरतलब है कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अक्षय मुकुल के द्वारा रचित जीवनी का हवाला दिया था। जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में कहा था कि गीता प्रेस को सम्मान का फैसला वास्तव में सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। जयराम रमेश अपने इसी टिप्पणी के बाद लगातार विपक्षी नेताओ के निशाने पर है।