‘समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए…SC के दो जज नहीं ले सकते फैसला’: भाजपा सांसद सुशील मोदी

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा बयान दिया है! Gay marriage in india latest news mp sushil modi

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  • Publish Date - December 20, 2022 / 02:24 PM IST,
    Updated On - December 20, 2022 / 02:25 PM IST

नई दिल्ली: Gay marriage in india latest news  देश के दोनों सदनों में शीतकालीन सत्र की कार्यवाही लगातार है। सदन की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अलग-अलग मुद्दे को लेकर हंगामा देखने को मिल रहा है। वहीं, आज सदन में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील मोदी ने समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा बयान दिया है। संसद के उच्च सदन में शून्य काल के दौरान बोलते हुए सुशील मोदी ने कहा, भारत देश में इस तरह की चीजों न कोई मान्यता है और न ही स्वीकार किया जाता है। अगर ऐसा किया जाता है तो यह पूर्ण विनाश का कारण होगा।

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Gay marriage in india latest news  इस मसले पर राज्यसभा में बोलते हुए भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा “भारत के भीतर समान लिंग विवाह को देश में विवाह वाले कानूनों द्वारा न तो मान्यता प्राप्त है और न ही स्वीकार्य है। क्योंकि यह देश में निजी कानूनों के संतुलन की दृष्टि से पूर्ण विनाश का कारण होगा।” उन्होंने तर्क दिया कि गोद लेने, घरेलू हिंसा, तलाक और वैवाहिक घर में रहने के अधिकार से संबंधित कानून “पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह की संस्था” से जुड़े हैं।

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याचिकाओं पर अगले महीने सुनवाई होने की उम्मीद के साथ, भाजपा सांसद ने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत में फैसला नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, विवाह एक ऐसी संस्था है जिसमें पुरुष और महिला दोनों एक साथ रहते हैं और बच्चे पैदा करके अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाते हैं।

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समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के लिए ‘वामपंथी उदारवादियों’ पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश इसका फैसला नहीं कर सकते… इसके लिए संसद में इसपर चर्चा की जरूरत है।’ संसद में बहस के लिए जोर देते हुए उन्होंने कहा कि विवाह एक सामाजिक मुद्दा है, न्यायपालिका को इसकी वैधता पर फैसला नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर संसद और समाज में विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।”

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दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में संबंधित कानून को समाप्त करके समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था, लेकिन अभी भी समान लिंग के व्यक्तियों के बीच विवाह को कोई कानूनी मंजूरी नहीं मिल पाई है। इस महीने की शुरुआत में एलजीबीटीक्यू जोड़ों द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य द्वारा उन्हें विवाहित के रूप में मान्यता देने से इनकार करना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

 

 

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