गौहाटी उच्च न्यायालय ने भैंसों एवं बुलबुल की लड़ाई से संबंधित असम सरकार की एसओपी खारिज की

गौहाटी उच्च न्यायालय ने भैंसों एवं बुलबुल की लड़ाई से संबंधित असम सरकार की एसओपी खारिज की

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  • Publish Date - December 18, 2024 / 01:30 PM IST,
    Updated On - December 18, 2024 / 01:30 PM IST

गुवाहाटी, 18 दिसंबर (भाषा) गौहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार की ओर से पिछले वर्ष जारी की गयी उस मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को रद्द कर दिया, जिसके तहत माघ बिहू उत्सव के दौरान भैंसों और बुलबुल की लड़ाई की अनुमति दी गई थी।

न्यायमूर्ति देवाशीष बरुआ की पीठ ने ‘पेटा इंडिया’ द्वारा दायर की गयी याचिकाओं पर मंगलवार को यह आदेश पारित किया।

पीठ ने इस संबंध में दायर की गयी दो याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि भैंसों और बुलबुल की लड़ाई के संचालन लिए दिसंबर, 2023 में सरकार ने एसओपी के साथ जो अधिसूचना जारी की थी वह विभिन्न वन्य जीव कानूनों एवं उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है।

न्यायमूर्ति बरुआ ने कहा कि असम सरकार इन लड़ाइयों को अनुमति देने के लिए कानूनों में संशोधन कर सकती थी, जैसा कि कुछ अन्य राज्यों ने किया है, लेकिन मौजूदा प्रावधानों को खत्म करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करना ‘‘अनुमति योग्य नहीं है’’।

न्यायालय ने कहा, ‘‘दिसंबर 2023 की (संबंधित) अधिसूचना को रद्द किया जाता है। असम सरकार को पशु कल्याण के लिए अधिनियमों का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।’’

जनवरी के मध्य में माघ बिहू उत्सव के तहत पारंपरिक रूप से आयोजित की जाने वाली भैंसों और बुलबुलों की लड़ाई, इस वर्ष नौ वर्षों के अंतराल के बाद फिर शुरू हुई तथा राज्य सरकार ने इनके आयोजन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी प्रकाशित की।

भाषा राजकुमार सुरेश

सुरेश