नई दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) भारत में अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड की बैठकें खुफिया जानकारी साझा करने, रक्षा, आतंकवाद निरोधक उपायों और अंतरराष्ट्रीय खतरों के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर केंद्रित थीं। एक अमेरिकी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि गबार्ड की नयी दिल्ली यात्रा ने दशकों पुराने मजबूत अमेरिका-भारत संबंधों को उजागर किया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व और उनकी मित्रता से बल मिला है।
गबार्ड ढाई दिन की यात्रा पर रविवार तड़के राष्ट्रीय यहां पहुंचीं। यह डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के किसी शीर्ष अधिकारी की पहली उच्चस्तरीय भारत यात्रा थी।
गबार्ड ने प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ अलग-अलग बैठकें कीं।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत में डीएनआई ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक भी शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में डीएनआई गबार्ड की बैठकें खुफिया जानकारी साझा करने, रक्षा, आतंकवाद की रोकथाम और अंतरराष्ट्रीय खतरों पर केंद्रित रहीं।’’
गबार्ड ने रायसीना डायलॉग में भी भाषण दिया, जो विभिन्न संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति कायम करने के ट्रंप के प्रयासों पर केंद्रित था।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप यथार्थवाद और व्यावहारिकता पर आधारित रणनीति के माध्यम से शांति हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शक्ति के माध्यम से शांति सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक चुनौतियों और अवसरों की स्पष्ट और यथार्थवादी समझ के साथ मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होती है। संघर्ष बढ़ने की संभावना को कम करने वाले सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता और आपसी हितों को मजबूत करने के लिए समर्पण की जरूरत होती है।’’
भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि गबार्ड के साथ बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे)’ की गतिविधियों पर भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया तथा उसे आतंकवादी संगठन घोषित करने का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि सिंह ने गबार्ड को एसएफजे के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ कथित संबंधों और बब्बर खालसा आतंकवादी समूह के साथ इसके ‘सहयोग’ के बारे में भी अवगत कराया और इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव डाला।
भाषा राजकुमार मनीषा
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