संविधान के तहत स्वतंत्रता पीएमएलए की शर्तों से ऊपर है : अदालत

संविधान के तहत स्वतंत्रता पीएमएलए की शर्तों से ऊपर है : अदालत

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  • Publish Date - October 18, 2024 / 10:05 PM IST,
    Updated On - October 18, 2024 / 10:05 PM IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को धन शोधन के एक मामले में “सुनवाई में देरी” और “लंबे समय तक जेल में रहने” का हवाला देते हुए जमानत दे दी।

जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 मई, 2022 को उनसे कथित तौर पर जुड़ी चार कंपनियों के जरिए धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा, “मुकदमे में देरी और 18 महीने की लंबी कैद के मद्देनजर और इस तथ्य को देखते हुए कि मुकदमा शुरू होने में लंबा समय लगेगा आरोपी राहत के लिए पात्र है।”

न्यायाधीश ने जैन को जमानत देने से इनकार करने के ईडी के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत दी गई राहत, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 की कठोर दोहरी शर्तों का स्थान लेगी, जब “स्वतंत्रता विचाराधीन मुख्य मुद्दा है”।

दोहरी शर्तों के तहत, आरोपी को अदालत में यह साबित करना होगा कि वह अपराध के मामले में प्रथम दृष्टया निर्दोष है और साथ ही न्यायाधीश को यह विश्वास दिलाना होगा कि जमानत पर रहते हुए वह कोई अपराध नहीं करेगा।

अदालत ने कहा, “विलंब और लंबी कैद से संबंधित आधार, वास्तव में, संविधान के अनुच्छेद 21 से प्राप्त संवैधानिक और पूर्ण दोहरी शर्तें हैं और इसलिए धारा 45 पीएमएलए के तहत दोहरी शर्तों से बेहतर हैं।”

अदालत के आदेश में आगे कहा गया कि संवैधानिक दोहरी शर्तें आवश्यक रूप से कठोर पीएमएलए के तहत वैधानिक दोहरी शर्तों की कठोरता पर शमनकारी प्रभाव डालती हैं, जब स्वतंत्रता मुख्य मुद्दा होती है।

न्यायाधीश ने जैन के लिए रिहाई वारंट भी जारी किया तथा 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर राहत प्रदान की।

जैन पर हालांकि कई शर्तें लगाई गयी हैं, जिनमें जांच में सहयोग करना और जांच में हस्तक्षेप न करने की कोशिश करना शामिल है। उन्हें निर्देश दिया गया कि जब भी जरूरत हो, जांच अधिकारी और अदालत के सामने पेश हों।

अदालत ने आदेश दिया, “आरोपी किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेगा और अदालत की पूर्व अनुमति के बिना भारत से बाहर यात्रा नहीं करेगा।”

ईडी का मामला 2017 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जैन के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।

जैसे ही न्यायाधीश ने आदेश दिया, अदालत कक्ष में मौजूद जैन की पत्नी पूनम और बेटी श्रेया रो पड़ीं।

श्रेया ने बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि दिवाली उनके परिवार के लिये जल्दी आ गयी।

उन्होंने अदालत को बताया, “हम हमेशा से जानते थे कि ऐसा होगा और यह केवल समय की बात थी। हम खुश हैं कि अदालत ने हमें न्याय दिया। दिवाली नजदीक आ रही है और हमें लगता है कि इस साल यह हमारे लिए जल्दी आ गयी है, और हम उनके लिए खुश और उत्साहित हैं।”

पूनम ने बताया कि उन्होंने अपनी उम्मीदें जिंदा रखीं। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए मुश्किल समय था, लेकिन मुझे हमेशा भरोसा था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई गलत काम नहीं किया। हमने बहुत लंबे समय तक इंतजार किया है।”

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन