जयपुर, 27 मार्च (भाषा) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेपर लीक मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पेपर लीक पर बोलने से पहले भाजपा नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
गहलोत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘पेपर लीक पर बोलने से पहले भाजपा नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।’’
उल्लेखनीय है कि बुधवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बीकानेर में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘पिछली सरकार में कई पेपर लीक हुए थे, उन प्रकरणों में लिप्त दोषियों पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। हमारे 15 माह के कार्यकाल में एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘फरवरी, 2025 में नवलगढ़ में एक सेंटर पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के पेपर का लिफाफा खुले मिलने पर भी कोई जांच नहीं की गई और मामला दबा दिया गया। उसकी जांच क्यों नहीं की?’’
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2013 से 2018 की भाजपा सरकार में 13 पेपर लीक हुए, लेकिन भाजपा सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थी जब कोर्ट में गए तब जाकर पेपर लीक पर संज्ञान लिया गया, इस कारण यह पेपर लीक माफिया राज्य में पनपता गया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भाजपा-शासित पड़ोसी राज्यों- गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में दर्जनों पेपर लीक हुए। सेना, न्यायपालिका तक में पेपर लीक हुए, परन्तु कहीं भी कड़ी कार्रवाई नहीं हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार के दौरान पहली बार एसओजी ने अभियान चलाकर कार्रवाई की और 200 से अधिक गिरफ्तारियां की गईं। सरकार ने गड़बड़ी की आशंका होते ही जांच करवाई एवं आवश्यकता पड़ने पर पेपर रद्द किए।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘देश में पहली बार पेपर लीक के खिलाफ 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक सजा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का कानून बनाया, जिससे पेपर लीक पर रोक लगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उपनिरीक्षक भर्ती पर कैबिनेट सब-कमेटी ने पेपर रद्द की सिफारिश की। उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से भी यही ध्वनि निकलती है, परन्तु तब भी पेपर लीक का आरोप लगाने वाले मुख्यमंत्री जी ने उपनिरीक्षक भर्ती पर अभी तक फैसला क्यों नहीं किया है? यह आपकी कथनी और करनी में अंतर है।’’
भाषा कुंज सुरेश
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