अमेरिकी मौसम एजेंसी को वित्त कटौती से भारत पर दीर्घावधि में प्रभाव पड़ने की संभावना: अधिकारी
अमेरिकी मौसम एजेंसी को वित्त कटौती से भारत पर दीर्घावधि में प्रभाव पड़ने की संभावना: अधिकारी
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) अमेरिकी मौसम एजेंसी ‘नेशनल ओसिएनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनस्ट्रेशन’ (एनओएए) की वित्तीय मदद में कटौती संबंधी अमेरिका सरकार का फैसला भारत की मौसम निगरानी एवं पूर्वानुमान क्षमताओं को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि इसका दीर्घावधि में असर देखने को मिल सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
एनओएए जलवायु, मौसम, महासागरों और तटों में होने वाले बदलावों की निगरानी और पूर्वानुमान व्यक्त करती है। यह भारत सहित कई देशों के साथ इस डेटा को साझा करती है, जिससे उन्हें अपने मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार करने में मदद मिलती है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम रविचंद्रन ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमता फिलहाल अप्रभावित रहेगी, लेकिन बाद में इसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे निगरानी प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, विशेष रूप से महासागर में — चाहे वह हिंद महासागर हो या प्रशांत महासागर। यदि इसमें कमी की जाती है, तो हमारे मौसम पूर्वानुमान पर प्रभाव पड़ेगा।’’
सचिव ने कहा, ‘‘इस वर्ष अब तक कोई समस्या नहीं है… लेकिन दीर्घावधि में, यदि वे एनओएए के वित्तपोषण और समुद्र में निगरानी प्रणाली तथा अन्य चीजों में कटौती करते हैं… तो निश्चित रूप से हमारी पूर्वानुमान प्रणाली प्रभावित होगी।’’
रविचंद्रन ने कहा कि मानसून का पूर्वानुमान करने में समुद्र की वायुमंडलीय स्थिति महत्वपूर्ण योगदान देती है और अगर ‘‘यदि हम समुद्र का उपयुक्त अवलोकन नहीं करेंगे, तो निश्चित रूप से हम बेहतर पूर्वानुमान नहीं लगा पाएंगे।’’
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, एनओएए के वित्तपोषण में 27 प्रतिशत या लगभग 1.67 अरब अमेरिकी डॉलर की कटौती करने की अमेरिकी राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप प्रशासन की योजना है।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश

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