नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) सामरिक व्यापार एवं प्रौद्योगिकी सहित आर्थिक सुरक्षा पर भारत-जापान वार्ता का पहला दौर बुधवार को टोक्यो में आयोजित हुआ। इस दौरान दोनों पक्षों ने आर्थिक हितों की रक्षा और पहचाने गए क्षेत्रों में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं एवं महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए “निकट सहयोग” की आवश्यकता को रेखांकित किया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने फोकस क्षेत्रों में समग्र सहयोग बढ़ाकर “ठोस परिणाम” लाने पर भी सहमति जतायी।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपने मौजूदा पद के रूप में बुधवार को जापान की पहली आधिकारिक यात्रा की, तथा जापान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें और बातचीत की।
इसमें कहा गया कि मिस्री की यात्रा ने भारत और जापान के बीच ‘मजबूत और स्थायी मित्रता को मजबूत किया’, जो साझा मूल्यों, आपसी सम्मान, आपसी विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27 नवंबर, 2024 को टोक्यो में सामरिक व्यापार और प्रौद्योगिकी सहित आर्थिक सुरक्षा पर भारत-जापान वार्ता के पहले दौर की सह-अध्यक्षता की। इस दौरान जापान के विदेश मंत्रालय के उप मंत्री मसाटाका ओकानो भी मौजूद थे।”
विदेश मंत्रालय ने एक अन्य बयान में कहा, ‘‘विदेश सचिव-उप-मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान, उन्होंने भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की। इसमें राजनीतिक संबंधों, रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक सहयोग तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क के अलावा साझा हितों के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई।’’
भारत और जापान के बीच इस वार्ता में दोनों सरकारों के हितधारक मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों ने भाग लिया, जिसकी घोषणा 20 अगस्त को नयी दिल्ली में आयोजित भारत-जापान टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान की गई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि टोक्यो में हुई बैठक ने “संबंधित आर्थिक सुरक्षा नीतियों पर विचारों का आदान-प्रदान करने, औद्योगिक और तकनीकी लचीलापन बनाने के लिए साझेदारी को मजबूत करने और प्रमुख प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और अनुप्रयोग में सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया।”
बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने भारत और जापान में प्रासंगिक पक्षों के बीच व्यापार और शैक्षणिक साझेदारी के लिए “आर्थिक हितों की रक्षा करने तथा नीतिगत सुविधा के माध्यम से पहचाने गए क्षेत्रों में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने” के लिए घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इसमें कहा गया है, “उन्होंने साझा हित के क्षेत्रों में प्रतिभाओं के आदान-प्रदान और कौशल उन्नयन को सुविधाजनक बनाने के तरीकों पर भी विचार किया।”
दोनों पक्षों ने इस वार्ता को भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को समकालीन प्रासंगिकता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण और समयोचित कदम बताया।
आर्थिक सुरक्षा, सामरिक व्यापार और प्रौद्योगिकी पर वार्ता के दौरान, दोनों पक्षों ने आर्थिक सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में साझेदारी से संबंधित विषयों पर चर्चा भी की।
इसके अलावा मिस्री ने जापान के कई अन्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की।
भाषा रविकांत रंजन
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