कॉन्स्टेबल पद पर आखिरी दिन, अगले दिन सजी कंधे पर सितारों वाली वर्दी.. 10 सालों की कड़ी मेहनत ने हासिल कराया मुकाम

कॉन्स्टेबल पद पर आखिरी दिन, अगले दिन सजी कंधे पर सितारों वाली वर्दी.. 10 सालों की कड़ी मेहनत ने हासिल कराया मुकाम

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  • Publish Date - May 30, 2021 / 05:56 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

नई दिल्ली, 30 मई (भाषा) आज से 15 साल पहले अगर कोई बच्चा दसवीं कक्षा में 51 प्रतिशत अंकों के साथ पास हो और अगले साल ग्यारहवीं कक्षा में फेल होने के बाद 12वीं कक्षा में 58 प्रतिशत अंकों के साथ पास हो जाए तो 2010 में उसका दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बन जाना ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन फिरोज आलम नाम का वह कांस्टेबल अगर दस साल बाद देश की सबसे कठिन यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईपीएस बन जाए तो यह अपने मकसद को हासिल करने की दौड़ में उसके अव्वल आने की दास्तान है।

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फिरोज बताते हैं कि 2008 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद जून 2010 में वह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर भर्ती हुए। उन्हें खुद नहीं पता था कि आने वाले दस बरसों में उनकी किस्मत उनके सुनहरे सपनों को सच करने के रास्ते बना रही है। इस दौरान उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और ‘अफसर’ बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षा पास करने की कोशिश करते रहे। कई बार की नाकामी के बाद 2019 में अपने छठे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की।

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फिरोज बताते हैं कि 31 मार्च 2021 का दिन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर उनका आखरी दिन था और इसके अगले ही दिन जब वह कंधे पर सितारों वाली वर्दी के साथ एसीपी के तौर पर दिल्ली पुलिस बल में दोबारा शामिल हुए तो फर्क सिर्फ इतना था कि पहले उन्हें ‘भाई’ कहने वाले उनके साथी कांस्टेबल अब उन्हें ‘सर’ बुला रहे थे और वह दस साल तक जिन्हें ‘सर’ बुलाते रहे अब उनके समकक्ष खड़े थे।

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उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव आजमपुर दहपा में जन्मे फिरोज के पांच भाई और तीन बहनें हैं। उनके पिता मोहम्मद शहादत कबाड़ी का काम किया करते थे और उन्होंने पिलखुवा के मारवाह कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। बचपन से सपना देखा था कि एक दिन पुलिस की वर्दी पहनेंगे, सो उसकी तैयारी में जुट गए और जब वर्दी पहन ली तो लगा कि ये तो बस शुरुआत थी।

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फिरोज बताते हैं कि अफसरों के तौर तरीके और उनका रूआब देखने के बाद उन्होंने भी अफसर बनने की ठान ली और इसके लिए पूरे मन से तैयारी में जुट गए। पहले दो प्रयासों में प्रारंभिक परीक्षा ही पास नहीं कर पाए। उसके बाद के तीन साल प्रारंभिक परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन अगले पड़ाव पर सफलता हाथ नहीं लगी। एक मौका तो ऐसा आया कि फिरोज की हिम्मत जवाब देने लगी, इसी दौरान राजस्थान के झुंझनू जिले की नवलगढ़ तहसील के देवीपुरा गांव के कांस्टेबल विजय सिंह गुजर यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईपीएस कैडर में पहुंचे तो फिरोज की उम्मीदें एक बार फिर जाग उठी और 2019 में उन्होंने सारी बाधाएं पार कर अपनी मंजिल पा ली।

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अब एसीपी फिरोज आलम यूपीएससी की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुटे अपने महकमे के अन्य कांस्टेबल की मदद कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस यूपीएससी फैमिली के नाम से व्हाट्सएप्प पर एक ग्रुप बनाया है और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे 58 कांस्टेबल इस ग्रुप के सदस्य हैं। फिरोज बताते हैं कि कुछ ने प्रारंभिक शिक्षा पास कर ली है और कुछ इसकी तैयारी कर रहे हैं और उन्हें सलाह से लेकर नोट्स तक जो कुछ चाहिए होता है, फिरोज हर वक्त उनकी मदद के लिए तैयार रहते हैं। बड़ी विनम्रता के साथ अपना दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं का रिजल्ट बताने वाले फिरोज कहते हैं कि यह धैर्य और आत्मविश्वास की परीक्षा है और असफलता से घबराए बिना अगर ‘‘मेरे जैसा साधारण व्यक्ति इसे पास कर सकता है तो किसी के लिए इसे पास करना मुश्किल नहीं है।’’