श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर में जारी उठापटक के बीच स्थानीय राजनीतिक दलों ने रात्रि में बैठक करने का निर्णय लिया है। कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में 38000 जवानों की तैनाती और राज्य सरकार की तरफ से अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी से लौटने की अडवाइजरी के बाद कश्मीर घाटी में तरह-तरह की अटकलें जोर पकड़ रही हैं।
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बता दें कि बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती और पर्यटकों को वापस लौटने के आदेश के बीच राज्य की पार्टियों को अंदेशा है कि रात में केंद्र की एनडीए सरकार कुछ बड़ा फैसला ले सकती है, जिसके तहत आपात बैठक बुलाई गई है। इसी बीच पंजाब से लगने वाले बॉर्डर पर हाई अलर्ट कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि कश्मीर में ‘कुछ बड़ा’ प्लान किया जा रहा है। मुफ्ती ने सभी दलों से मतभेद के बावजूद एक साथ आने की अपील करते हुए कहा, ‘श्रीनगर की सड़कों पर अव्यवस्था जैसी स्थिति फैल गई है। लोग सड़कों पर इधर-उधर भाग रहे हैं। एटीएम, पेट्रोल पंप पर लोग लाइन लगा रहे हैं। दुकानों से जरूरी सामानों को इकट्ठा किया जा रहा है। क्या भारत सरकार केवल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जबकि कश्मीरियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।’
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने संबंधी अडवाइजरी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले आज तक कभी ऐसी कोई अडवाइजरी जारी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 35-A और आर्टिकल 370 को हटाने को लेकर चल रहीं अटकलों से घाटी में खौफ का माहौल है। उन्होंने कहा कि इन दोनों धाराओं को हटाने से कश्मीर से ज्यादा जम्मू और लद्दाख का नुकसान होगा। (what is happening in jammu and kashmir)