अब आपको ओला और उबर में यात्रा करने के लिए बेस फेयर से 3 गुना तक अधिक किराया देना पड़ सकता है। केंद्र सरकार पीक आवर्स यानी अधिक मांग वाली अवधि में उबर और ओला जैसे कैब एग्रीगेटर्स को ग्राहकों से बेस फेयर से अधिक किराया लेने की इजाजत दे सकती है।
खबरों के अनुसार, दरअसल कैब एग्रीगेटर्स इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। अब आपको ओला और उबर में यात्रा करने के लिए बेस फेयर से 3 गुना तक अधिक किराया देना पड़ सकता है। कैब कंपनियां देश के शहरी यातायात का अनिवार्य हिस्सा बन चुकीं हैं। कैब कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर डिमांड-सप्लाई को मैनेज करने के लिए लंबे समय से सर्ज प्राइसिंग लागू करने के पक्ष में अपनी राय देती आई हैं।
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नए नियमों में बताया जा सकता है कि वे ग्राहकों से सर्ज प्राइसिंग के तहत कितना किराया ले सकती हैं। मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल, 2019 के पास होने के बाद कैब एग्रीगेटर्स के लिए इन नियमों का प्रस्ताव लाया जा रहा है। इस विधेयक में पहली बार कैब ऐग्रिगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी यानी मार्केट प्लेस माना गया।
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नए नियम वैसे तो पूरे देश में लागू होंगे, लेकिन राज्यों के पास इनमें बदलाव करने का भी अधिकार होगा। देश में कैब एग्रिगेटर्स को रेगुलेट करने वाला पहला राज्य कर्नाटक है। गौरतलब है कि कैब कंपनियां देश के शहरी यातायात का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं। खासतौर पर बड़े मेट्रो शहरों में, जहां पब्लिक ट्रांसपॉर्ट का अभाव है।
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