चंडीगढ़, 24 दिसंबर (भाषा) मोहम्मद रफी की जन्मशती मनाने के लिए उनके प्रशंसक मंगलवार को अमृतसर के पास स्थित उनके गांव कोटला सुल्तान सिंह पहुंचे। जम्मू से कोटला सुल्तान पहुंचे एक प्रशंसक ओमप्रकाश ने कहा, “मोहम्मद रफी अपने करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में आज भी जिंदा हैं।”
ओम प्रकाश भी उन प्रशंसकों में शामिल हैं, जो मोहम्मद रफी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल उनके गांव की यात्रा करते हैं।
वर्ष 1968 में प्रदर्शित ‘संघर्ष’ में दिलीप कुमार पर फिल्माए गए ‘मेरे पैरों में घुंघरू बंधा दे’ गाने की कुछ पंक्तियां गुनगुनाते हुए ओम प्रकाश ने कहा, “रफी साहब के गाने आज भी उतने लोकप्रिय हैं, जितने वे उनके जीवित रहते हुए थे। वह अपने करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में आज भी जिंदा हैं।”
दिल्ली के 80 वर्षीय आदर्श कुमार प्रुथी भी रफी को श्रद्धांजलि देने अपनी पत्नी के साथ कोटला सुल्तान सिंह गांव पहुंचे।
प्रुथी ने कहा, “मैं बचपन से ही उनका बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। मेरी बड़ी इच्छा थी कि मैं रफी साहब की 100वीं जयंती पर उनके गांव जाऊं। आज मैं अपनी पत्नी के साथ यहां हूं। यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है।”
रफी की जन्मशती पर देश के विभिन्न कोनों से उनके 50 से अधिक प्रशंसक कोटला सुल्तान सिंह पहुंचे। उन्होंने अपने पसंदीदा गायक की याद में केक काटा। इस दौरान, हरदीप सिंह (82) नामक ग्रामीण रफी के प्रशंसकों को उस जगह पर ले गए, जहां उनका पुश्तैनी मकान हुआ करता था।
हरदीप के दादा ने कई साल पहले रफी के परिवार से यह जमीन खरीद ली थी।
कई प्रशंसक गांव में रफी की प्रतिमा के पास एकत्र हुए और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने उस स्कूल का भी दौरा किया, जहां रफी ने शुरुआती पढ़ाई की थी।
रफी ने गांव के फकीर की नकल करके गाना शुरू किया। लेकिन उनका पहला सार्वजनिक प्रदर्शन तब हुआ जब वह 13 साल के हुए, जब उन्होंने लाहौर में के एल सहगल का गाना गाया।
भाषा पारुल पवनेश
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