नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) अमेरिका में जन्मजात नागरिकता कानूनों में प्रस्तावित बदलाव से कथित तौर पर आशंकित होकर वहां रह रह रहे भारतीयों समेत अन्य प्रवासी परिवारों की महिलाओं के समय पूर्व प्रसव कराने के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी के प्रति स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आगाह किया है।
मीडिया की खबरों के मुताबिक, परिवार यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बच्चों का जन्म अमेरिका में 20 फरवरी को संभावित कानूनी बदलाव के प्रभावी होने से पहले हो जाए, ‘सिजेरियन सेक्शन’ (ऑपरेशन से बच्चों का जन्म कराना) का विकल्प अपना रहे हैं जिससे जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए काफी जोखिम उत्पन्न हो गया है।
‘पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने इस तरह के जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों के अनपेक्षित और हानिकारक परिणामों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने ऐसी प्रवृत्ति के उन्मूलन के लिए सुनियोजित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, ‘‘जन्मजात नागरिकता कानूनों में बदलाव से जुड़ी आशंकाओं से प्रेरित यह प्रवृत्ति प्रसूता और शिशु, दोनों के स्वास्थ्य को काफी जोखिम में डाल देती है। समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को सांस लेने में समस्या, संक्रमण, विकास संबंधी बाधा और व्यवहार संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जबकि माताओं को संक्रमण, ऑपरेशन से जुड़ी जटिलता तथा दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का खतरा रहता है।’’
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, ये आशंकाएं कानून में प्रस्तावित परिवर्तन से उत्पन्न हुई हैं जो 20 फरवरी के बाद जन्में बच्चों की नागरिकता की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ से जुड़ीं सीमा भास्करन ने बताया कि आर्थिक और आव्रजन दबाव के कारण महिलाओं को जीवन को प्रभावित करने वाले ऐसे निर्णयों पर बहुत कम बोलने का मौका मिलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह डर कि परिवारों को वापस लौटना होगा, महिलाओं को जीवन-जोखिम में डालने वाले निर्णय लेने के लिए मजबूर कर रहा है। वे सामाजिक और आर्थिक दबाव के कारण अपने जीवन और समय से पहले जन्में अपने बच्चों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही हैं।’’
चिकित्सकों ने समय से पहले प्रसव के गंभीर चिकित्सीय प्रभावों को भी रेखांकित किया है।
मैत्री की संस्थापक और सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की निदेशक डॉ. अंजलि कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य जोखिम संभावित नागरिकता लाभों से कहीं अधिक है।
भाषा संतोष पवनेश
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