हिमनद झील के फटने से बाढ़ आने के खतरे के आकलन के लिये विशेषज्ञ दल अरुणाचल भेजा गया

हिमनद झील के फटने से बाढ़ आने के खतरे के आकलन के लिये विशेषज्ञ दल अरुणाचल भेजा गया

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  • Publish Date - August 21, 2024 / 05:46 PM IST,
    Updated On - August 21, 2024 / 05:46 PM IST

नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) अरुणाचल प्रदेश में उच्च जोखिम वाली छह हिमनद झीलों में पहली बार विशेषज्ञों की दो टीमें भेजी गई हैं, ताकि हिमनद झीलों के फटने से बाढ़ (जीएलओएफ) की आशंका का आकलन किया जा सके और निरोधक उपायों के लिये इन जल निकायों तक पहुंचने के तरीकों पर विचार किया जा सके। आधिकारिक सूत्रों यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि दो झीलें तवांग और दिबांग घाटी जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित हैं – जो समुद्र तल से 11,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर हैं।

टीमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा चिन्हित, अरुणाचल प्रदेश के पांच जिलों में स्थित, उच्च जोखिम वाली 27 झीलों में से तवांग और दिबांग घाटी में तीन-तीन उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों का आकलन करेंगी।

सूत्रों ने बताया कि तवांग के उपायुक्त कांकी दरांग के नेतृत्व में दल थिंग्बू सर्कल के मागो क्षेत्र में झील का अध्ययन करने के लिए 19 अगस्त को रवाना हुआ था।

उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान जंग और जेमीथांग उप-मंडलों में दो और झीलों का भी निरीक्षण किया जाएगा।

दिबांग घाटी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी कबांग लेगो के नेतृत्व में दूसरा दल मिपी सर्कल में दो हिमनद झीलों का अध्ययन करने के लिए अनिनी से रवाना हुआ। इन झीलों को एनडीएमए द्वारा ‘सी’ (कम जोखिम) के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इनमें जीएलओएफ बनाने की क्षमता है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अभियान दल को पहली दो झीलों पर अध्ययन पूरा करने में 12 दिन लगेंगे। इसके बाद, टीम एटालिन सर्कल में ‘ए’ (उच्च जोखिम) के रूप में वर्गीकृत एक उच्च जोखिम वाली हिमनद झील की ओर बढ़ेगी।

राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक संस्थान के विशेषज्ञों वाली टीमें पहुंच की सुगमता, भू-निर्देशांक, झील की सीमा, क्षेत्र, ऊंचाई, बस्तियों और बिंदु स्थान पर विस्तृत अध्ययन करेंगी।

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा