नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) बेंगलुरु में 34 वर्षीय इंजीनियर के आत्महत्या करने के बाद उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें दहेज और घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों की समीक्षा और सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का अनुरोध किया गया है ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके।
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में दहेज और घरेलू हिंसा से संबंधित मौजूदा कानूनों की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों और विधि विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है।
साथ ही याचिका में विवाह पंजीकरण के दौरान दिए गए सामान या उपहारों को रिकॉर्ड करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिका में 2010 के एक मामले में शीर्ष अदालत की टिप्पणियों पर अमल करने की भी मांग की गई, जिसमें न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के दुरुपयोग को चिह्नित किया था।
हाल के आत्महत्या के मामले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि मौजूदा दहेज कानून और घरेलू हिंसा अधिनियम की समीक्षा और सुधार करने का समय आ गया है ताकि इनका दुरुपयोग रोका जा सके।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा करके निर्दोष पुरुषों की जान बचाई जा सकती है और दहेज कानून का असली उद्देश्य हासिल हो सकता है।
अतुल सुभाष नामक इंजीनियर ने नौ दिसंबर को मराठाहल्ली में अपने घर पर आत्महत्या कर ली थी।
पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में काम करने वाले सुभाष ने 24 पृष्ठ का एक कथित सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि वह वैवाहिक समस्याओं के कारण वर्षों से भावनात्मक रूप से परेशान हैं; उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने उनकी पत्नी, रिश्तेदार तथा उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सुभाष की मौत के बाद उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, ससुर अनुराग और सुशील नामक व्यक्ति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है।
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
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