Noted dancer from Assam and Garima Hazarika: गुवाहाटी, 5 अगस्त। असम की प्रख्यात नृत्यांगना और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गरिमा हजारिका का शुक्रवार को निधन हो गया। उनके परिवार के लोगों ने यह जानकारी दी। हजारिका वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। वह 83 वर्ष की थीं। हजारिका के परिवार में उनका बेटा, बहू और एक पोता है। उनके पति कृष्णमूर्ति हजारिका भी प्रख्यात शास्त्रीय नर्तक थे। गरिमा हजारिका ओडिसी और कथक नृत्य विधा में भी कुशल थीं।
शास्त्रीय नृत्य परंपरा के तहत सत्रिया नृत्य विधा पहले ‘सत्रा’ या वैष्णव मठों तक ही सीमित थी और पुरुषों द्वारा इस नृत्य का अभ्यास किया जाता था। हजारिका ने नृत्य की इस परंपरा को दुनिया तक ले जाने और महिलाओं के बीच इसे लोकप्रिय बनाया। उन्होंने इसे मंच पर प्रदर्शन करने के लिए प्रशिक्षित करने के वास्ते प्रख्यात विद्वान महेश्वर निओग की मदद से अथक प्रयास किया था। हजारिका को मंच के लिए अधिक उपयुक्त रूप में सत्रिया नृत्य के लिए वेशभूषा डिजाइन करने का भी श्रेय दिया जाता है।
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Noted dancer from Assam and Garima Hazarika: हजारिका ने बहुत छोटी उम्र से ही गुरु चारु बोरदोलोई से कथक सीखना शुरू कर दिया था और बाद में कमलाबाड़ी सत्र के गुरु रोशेश्वर सैकिया और बोरबयान घाना कांता बोरा से सत्रिया की बारीकियां सीखी। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ आर्ट में पढ़ाई की और 1968 तक राष्ट्रीय राजधानी में रहीं।
हजारिका 16 असमिया फिल्मों में नृत्य निर्देशक थीं। वह राज्य के विभिन्न थिएटर में कोरियोग्राफी, स्टेज और कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में सक्रिय रूप से शामिल थीं और प्रदर्शन के लिए 16 नृत्य नाटकों की रचना की। प्रख्यात नृत्यांगना को संगीत नाटक अकादमी, असम शिल्पी दिवस और असम नाट्य सम्मेलन पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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हजारिका के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि राज्य ने एक प्रमुख सांस्कृतिक व्यक्तित्व खो दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’’ केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने शोक संदेश में कहा कि नृत्य के क्षेत्र में हजारिका के आजीवन समर्पण ने सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध किया और उनका निधन राज्य के लिए एक बड़ी क्षति है।