आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों को और मजबूत बनाने, उनकी संख्या बढ़ाने के प्रयास जारी: राष्ट्रपति

आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों को और मजबूत बनाने, उनकी संख्या बढ़ाने के प्रयास जारी: राष्ट्रपति

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  • Publish Date - June 27, 2024 / 04:45 PM IST,
    Updated On - June 27, 2024 / 04:45 PM IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे प्रतिष्ठानों को मजबूत करने और आवश्यकता के अनुसार उनकी संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही है।

संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि भारतीय भाषाओं में पढ़ने वाले छात्रों को पहले असहज स्थिति का सामना करना पड़ता था, लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लागू होने के साथ सरकार ने इसे दूर किया है।

मुर्मू ने 18 वीं लोकसभा में अपने पहले संबोधन में कहा, ‘‘विगत 10 वर्षों में देश में 7 नए आईआईटी, 16 आईआईआईटी (भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान), 7 आईआईएम, 15 नए एम्स, 315 मेडिकल कॉलेज और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। मेरी सरकार इन संस्थानों को और मजबूत बनाकर आवश्यकता के अनुसार इनकी संख्या को भी बढ़ाएगी।’’

उन्होंने कहा कि सरकार एक डिजिटल विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि अटल टिंकरिंग लैब्स, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने देश के युवाओं की क्षमता में सुधार करने में मदद की है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन प्रयासों से ही आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बन गया है।’’

मुर्मू ने कहा कि सरकार देश के हर युवा को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए ज़रूरी माहौल बनाने में जुटी है।

उन्होंने कहा, ‘‘बीते 10 वर्ष में ऐसे हर अवरोध को हटाया गया है जिसके कारण युवाओं को परेशानी थी। पहले अपने ही प्रमाण पत्र को सत्यापित (अटेस्ट) कराने के लिए युवाओं को भटकना पड़ता था। अब युवा स्व-सत्यापन करके काम करते हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार की ग्रुप-सी, ग्रुप-डी भर्तियों से साक्षात्कार प्रक्रिया को खत्म किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले जो विद्यार्थी सिर्फ भारतीय भाषाओं में पढ़ाई करते थे, उनके साथ असहजता की स्थिति थी। मेरी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर, इस अन्याय को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं।’’

उन्होंने कहा कि युवाओं को अब भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का विकल्प भी मिला है।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र मनीषा

मनीषा