पूर्व एमयूडीए प्रमुख के आवास पर ईडी की तलाशी और जब्ती गैरकानूनी : कर्नाटक उच्च न्यायालय
पूर्व एमयूडीए प्रमुख के आवास पर ईडी की तलाशी और जब्ती गैरकानूनी : कर्नाटक उच्च न्यायालय
बेंगलुरु, 29 जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाया कि मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) के पूर्व आयुक्त के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तलाशी और जब्ती गैरकानूनी एवं कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग थी।
अदालत ने अधिकारी को तलाशी में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की छूट भी दी।
ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बीएम को वैकल्पिक भूखंड के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले के सिलसिले में छापेमारी की यह कार्रवाई की थी।
न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडी को अपनी जांच में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि वह धन शोधन से निपटने के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख एजेंसी है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनमाने ढंग से ली गई तलाशी संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ईडी के पास धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-3 को लागू करने के लिए प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं था, जिससे तलाशी बेबुनियाद हो गई और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ।
फैसले में कहा गया है, “ईडी पीएमएलए में रेखांकित प्रक्रियात्मक निष्पक्षता की अवहेलना नहीं कर सकता। उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिक स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता।”
एमयूडीए के पूर्व आयुक्त नतेश डीबी को राहत देते हुए उच्च न्यायालय ने 28-29 अक्टूबर 2024 को ली गई तलाशी को अमान्य घोषित कर दिया। अदालत ने पीएमएलए की धारा-17(1)(एफ) के तहत दर्ज नतेश के बयानों को भी अमान्य करार दिया और अधिनियम की धारा-50 के तहत पिछले साल 29 अक्टूबर और छह नवंबर को जारी समन को भी रद्द कर दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, आरोप एमयूडीए आयुक्त के रूप में नतेश के कार्यकाल के दौरान भूखंडों के अवैध आवंटन से जुड़े हुए हैं, लेकिन किसी भी सबूत से यह साबित नहीं होता है कि नतेश को आवंटन से कोई वित्तीय लाभ हासिल हुआ।
अदालत ने कहा कि नतीजतन नतेश को पीएमएलए की धारा-3 के तहत अपराध की आय रखने, छिपाने या उसका इस्तेमाल करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से आवंटित किए गए भूखंड को अपने पास रखना मात्र अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनता, जब तक कि धारा-3 के तहत आवश्यक सभी तत्वों को पूरा नहीं किया जाता।
उच्च न्यायालय ने नतेश को तलाशी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ पीएमएलए की धारा-62 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार दिया। उसने कहा कि छापेमारी की कार्रवाई अफसोसजनक थी या नहीं, यह मुकदमे के माध्यम से निर्धारित करने की आवश्यकता होगी।
ईडी ने एमयूडीए भूखंड आवंटन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में लोकायुक्त की ओर से दायर एक प्राथमिकी के आधार पर एक अक्टूबर 2024 को प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी।
ईडी के संयुक्त निदेशक की मंजूरी के बाद एक सहायक निदेशक ने पीएमएलए की धारा-17 के तहत नतेश के आवास पर तलाशी ली थी। तलाशी के दौरान नतेश का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया था और उसका डेटा एक हार्ड डिस्क में स्थानांतरित किया गया था। जांच के सिलसिले में उनसे पूछताछ भी की गई थी।
भाषा पारुल माधव
माधव

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