नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) संचार कंपनी डेंटसू इंडिया ने शुक्रवार को कहा कि हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उसके खिलाफ की गई छापेमारी ‘तीसरे पक्षों’ द्वारा की गई कुछ संदिग्ध धोखाधड़ी से संबंधित थी और उसने संबंधित अधिकारियों को ‘सक्रियता से’ इसकी सूचना दी थी।
ईडी ने बृहस्पतिवार को मीडिया में जारी एक बयान में कहा था कि उसने ‘सुमाया-डेंटसू मामले’ की जांच के तहत 10 दिसंबर को मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम में उसके कई परिसरों पर छापेमारी की है।
धन शोधन का यह मामला मुंबई पुलिस (वर्ली पुलिस थाना) द्वारा डेंटसू कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और टेक्सटाइल समूह सुमाया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इसके प्रवर्तकों तथा कुछ अन्य के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से उपजा है।
डेंटसू इंडिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि उन्होंने 2021 में ‘‘तीसरे पक्षों और इनडीड के कुछ पूर्व कर्मचारियों द्वारा की गई संदिग्ध धोखाधड़ी गतिविधि की पहचान की थी, जिनके खिलाफ आपराधिक शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं’’।
उसने कहा, ‘‘यह गतिविधि केवल इनडीड व्यवसाय तक ही सीमित थी। तीन वर्ष पहले, हमने सक्रिय रूप से इस मामले की सूचना संबंधित अधिकारियों को दी थी और तब से हम पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।’’
कंपनी ने कहा कि इसी सिलसिले में ईडी की टीम 10 दिसंबर को मुंबई में डेंटसू इंडिया कार्यालय पहुंची थी।
इसने दावा किया कि संघीय एजेंसी को ‘डेंट्सू के परिसर से न तो कुछ मिला और न ही कोई संपत्ति जब्त की है’’।
इसमें कहा गया है, ‘‘हम धोखाधड़ी तथा गलत कामों को बहुत गंभीरता से लेते हैं और इस पर हमारी कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। हम अधिकारियों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे।’’
वहीं, सुमाया समूह को भी इसी तरह के प्रश्न भेजे गए थे और उसकी ओर से इनका कोई जवाब नहीं मिला।
ईडी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उसने 137 करोड़ रुपये के कथित धन गबन मामले में तलाशी के बाद 50 लाख रुपये की भारतीय और विदेशी मुद्रा तथा 3.4 करोड़ रुपये मूल्य का सोना जब्त किया हैं। हालांकि, इसमें यह नहीं बताया गया कि कहां से क्या जब्त किया गया।
ईडी ने कहा कि जिन संस्थाओं की तलाशी ली गई है, उन पर भविष्य में ‘नीड टू फीड’ कार्यक्रम के लाभ का वादा करने के नाम पर 137 करोड़ रुपये की धनराशि का ‘गबन’ करने का आरोप है।
भाषा यासिर पवनेश
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