आर्थिक समीक्षा: डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक की मात्रा के मानकीकरण की मांग की गई

आर्थिक समीक्षा: डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में चीनी, नमक की मात्रा के मानकीकरण की मांग की गई

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 05:30 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 05:30 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आर्थिक समीक्षा 2024-25 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से विज्ञापन को विनियमित करने के लिए चीनी, नमक और संतृप्त वसा के लिए पोषक तत्वों की सीमा को तत्काल परिभाषित करने का आह्वान किया गया है।

समीक्षा में केंद्रीय मंत्रालय से खाद्य पदार्थों पर चेतावनी वाले लेबल (एफओपीएल) को अपनाने और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर, विशेष रूप से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को लक्षित करने वाले खानपान पर सख्त विपणन प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया।

शारीरिक स्वास्थ्य पर अत्यंत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (यूपीएफ) के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए, संसद में पेश समीक्षा में जोर देकर कहा गया कि उपभोक्ताओं को इस बारे में जागरूक करना कि वे क्या खाते हैं, इसकी सामग्री और इससे जुड़े दुष्प्रभाव एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इसमें कहा गया कि पैकेटबंद खाद्य पदार्थों की सामग्री, यूपीएफ के दुष्प्रभावों और स्वस्थ भोजन विकल्पों को समझना स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।।

रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया कि नमक और चीनी के स्वीकार्य स्तरों के लिए मानक निर्धारित करने और नियमों का पालन करने के लिए यूपीएफ ब्रांडों की जांच कराई जाए।

समीक्षा में स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक क्षेत्रों को यूपीएफ खत्म करने के लिए कहा गया है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अतिरिक्त कैलोरी सेवन को कम करने तथा आहार की गुणवत्ता में सुधार करने से कई प्राथमिक तथा द्वितीयक हृदय संबंधी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है।

इसमें कहा गया, ‘‘चूंकि यूपीएफ ब्रांड अक्सर बच्चों तथा किशोरों को लक्षित करते हैं, इसलिए यूपीएफ के संभावित जोखिम कारकों के बारे में व्यापक जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं को तैयार करने से विभिन्न यूपीएफ ब्रांड स्वस्थ विकल्प लाने या यूपीएफ के नकारात्मक प्रभावों की सीमा को कम करने के लिए प्रेरित तथा प्रोत्साहित हो सकते हैं।’’

रिपोर्ट में स्थानीय तथा मौसमी फलों तथा सब्जियों को बढ़ावा देने के प्रयासों तथा संपूर्ण खाद्य पदार्थों, मोटे अनाजों, फलों तथा सब्जियों जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों के लिए सब्सिडी देने का आह्वान किया गया है।

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य बजट का लगभग 9.6 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 10.64 प्रतिशत पेय पदार्थों, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर खर्च किया जाता है।

भाषा वैभव माधव

माधव