नई दिल्ली । पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों सहित कांग्रेस छोड़ने के बाद मध्यप्रदेश में सरकार पर ना टलने वाला संकट आ गया है।
बीते एक साल में कांग्रेस नेताओं के बड़बोलेपन के बाद ही बीजेपी कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट करने का माहौल बना रही थी। इसके बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इस काम केलिए ऐसे व्यक्ति को चुना जो चंबल की राजनीति के चप्पे-चप्पे से वाकिफ था। पीएम मोदी के बेहद विश्वस्त और मध्यप्रदेश की राजनीति के अगुआ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस पूरे चक्रव्यूह की रचना की जिसमें कमलनाथ सरकार घिर गई। हैं। नरेंद्र सिंह तोमर का ग्वालियर-चंबल संभाग में काफी प्रभाव है कांग्रेस के ज्यादातर बागी विधायक भी इसी क्षेत्र से आते हैं।
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केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक की राजनीति पर अपनी पैनी निगाह बना रहे। ग्वालियर संभाग में छात्र नेता के रूप ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी, छात्र जीवन से ही ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में तोमर की स्थिति मजबूत है। इस संभाग में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी तोमर को दी गई थी। ग्वालियर-गुना-चंबल क्षेत्र सिंधिया राजघराने का गढ़ है, ज्योतिरादित्य को साधने के लिए तोमर ने पूरी व्यूह रचना तैयार की है। तोमर ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजया राजे सिंधिया के समय से उस परिवार के करीब रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि विगत कुछ दिनों से दिल्ली स्थित नरेंद्र सिंह तोमर के आवास 3, कृष्ण मेनन मार्ग पर मध्यप्रदेश के बड़े नेताओं की आवाजाही बढ़ गई थी। इसके अलावा, तोमर भी अपने क्षेत्र में ज्यादा सक्रिए थे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी व विश्वस्त माने जाने वाले नरेंद्र सिंह तोमर को कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश में भाजपा की रणनीति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद से लेकर प्रदेश में कैबिनेट स्तर के मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके तोमर मध्यप्रदेश में बीजेपी के सबसे प्रमुख नेता हैं।