नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन यानी नवमी है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। ऐसा माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने मात्र से नौ देवियों का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजन विधि…
मां सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ मुहूर्त-
इस साल नवमी महा-अष्टमी के दिन से ही लग रही है। नवमी के शुरू होने की तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट है। वहीं 7 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर नवमी की तिथि समाप्त हो जाएगी।
अमृत काल मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक(7 अक्टूबर 2019)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर12 बजकर 32 मिनट तक (7 अक्टूबर)
माता सिद्धिदात्री का प्रसन्न करने ऐसे करें पूजा
माता सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सबसे पहले कलश की पूजा की जाती है और नौ देवियों का ध्यान लगाया जाता है। इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ देवी की पूजा की जाती है। इसके माता सिद्धिदात्री को नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोग लगाना चाहिए। नव-दुर्गाओं में सिद्धिदात्री अंतिम है तथा इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस तरह से की गई पूजा से माता अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न होती है। भक्तों को संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मां सिद्धदाद्धत्री का पूजा मंत्र-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
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देवी का बीज मंत्र
ऊॅं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नमः ।।
महानवमी में कन्या भोज का महत्व
महानवमी के दिन छोटी बच्चियों को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। नवरात्रि का यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों पर मां अपनी कृपा बरसाती हैं।
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