उडुपी (कर्नाटक), 19 नवंबर (भाषा) उडुपी जिले के करकला तालुक में ईडू गांव के पास नक्सल विरोधी बल (एएनडी) की कार्रवाई में ‘‘खूंखार’’ नक्सली विक्रम गौड़ा मारा गया। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि एएनएफ लगभग 20 वर्ष से विक्रम गौड़ा को पकड़ने की कोशिश कर रहा था।
मंत्री ने गौड़ा को एक ‘‘खूंखार नक्सली’’ बताते हुए कहा कि वह पहले भी हुई ‘‘मुठभेड़ों’’ समेत कई मौके पर भाग निकला था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सोमवार शाम को गहन तलाश अभियान के दौरान एएनएफ ने नक्सलियों के एक समूह को देखा।
सूत्रों ने बताया कि एएनएफ दल को देखते ही नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद एएनएफ ने जवाबी कार्रवाई की। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई में गौड़ा मारा गया लेकिन अन्य नक्सली भाग गए।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘विक्रम गौड़ा दो दशक से अधिक समय से दक्षिण भारत में नक्सली अभियानों का नेतृत्व कर रहा था। उसने केरल और तमिलनाडु में शरण ली थी और वह कई बार कोडागु (कर्नाटक) गया था।’’
परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्होंने (गौड़ा और उसके साथियों ने) पुलिस पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी गोलीबारी में वह मारा गया। उसके साथ मौजूद दो या तीन अन्य लोग भाग निकले। एएनएफ पुलिस का तलाश अभियान जारी है।’’
मंत्री ने कहा कि गौड़ा सक्रिय नक्सली था और एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा था। उन्होंने कहा कि एएनएफ उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था लेकिन वह उसे पकड़ नहीं पा रहा था।
उन्होंने कहा कि अब सूचना के आधार पर कार्रवाई की गई।
परमेश्वर ने कहा, ‘‘पिछले सप्ताह दो लोगों (नक्सलियों) – राजू और लता – को देखा गया था। चूंकि वे भाग गए थे इसलिए उन्हें पकड़ने के लिए लगभग एक सप्ताह से तलाश अभियान जारी था। इसी दौरान अधिकारियों को अचानक उसके (गौड़ा) बारे में जानकारी मिली और जब वे तलाश अभियान चला रहे थे तभी उसने उन पर गोलीबारी कर दी।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या मुठभेड़ जरूरी थी और क्या गौड़ा को मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता था, परमेश्वर ने कहा, ‘‘उसने (गौड़ा ने) पुलिस को देखते ही गोलियां चला दीं इसलिए पुलिस बल को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। यह मुझे मिली शुरुआती जानकारी है।’’
परमेश्वर ने हालांकि कहा कि नक्सली गतिविधियों में शामिल लोगों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने कहा कि पावगड़ा और अन्य स्थानों से कई नक्सलियों ने अपने हथियार डाल दिए हैं और उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए सरकार की ओर से आवश्यक सहायता दी गई है। उन्होंने कहा कि अगर कोई आत्मसमर्पण करना चाहता है तो ये प्रयास अब भी जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वे (नक्सली) जंगलों में रहते हैं, पुलिस पर गोलीबारी करते हैं और भाग जाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से ऐसी घटनाएं (मुठभेड़ें) होती हैं।’’
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा