कोलकाता, 23 अगस्त (भाषा) कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में एक प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में कनिष्ठ चिकित्सकों की हड़ताल के शुक्रवार को 15वें दिन भी जारी रहने के कारण पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं।
कार्य पर लौटने की उच्चतम न्यायालय की अपील के बावजूद चिकित्सकों ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया।
आरजीकेएमसीएच के एक आंदोलनकारी चिकित्सक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि दोषियों को सजा नहीं मिलती…। जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती, हम प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से कार्य पर लौटने की अपनी अपील दोहराई और निर्देश दिए कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अदालत ने कहा था कि न्यायाधीश और चिकित्सक हड़ताल नहीं कर सकते क्योंकि वे जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों से निपटते हैं।
कनिष्ठ चिकित्सकों की हड़ताल से विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में कमी आई है।
एसएसकेएम अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों से मरीजों की संख्या में कमी आई है, हालांकि हमारे वरिष्ठ चिकित्सक बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) और आपातकालीन इकाइयों में सेवाएं दे रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग कनिष्ठ चिकित्सकों के आंदोलन से अवगत हैं।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) सरकारी अस्पताल में महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच कर रही है।
कनिष्ठ चिकित्सक महिला चिकित्सक के लिए न्याय की मांग के अलावा आरजीकेएमसीएच प्रशासन के कई अधिकारियों को हटाने की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने आरजीकेएमसीएच के तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (सीएनएमसी) में नियुक्ति रद्द कर दी है।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम ने निर्णय की घोषणा करते हुए चिकित्सकों से कार्य पर लौटने का आग्रह किया।
पुलिस ने नौ अगस्त की सुबह केएमसीएच के सेमिनार हॉल में प्रशिक्षु चिकित्सक का शव बरामद किया था।
भाषा यासिर शोभना
शोभना