(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता/नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा)कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले की जांच मंगलवार को कोलकाता पुलिस से लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया।
इस बीच, कनिष्ठ चिकित्सकों का व्यापक आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा, जिसकी वजह से राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। यहां तक कि अधिकांश सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन और ओपीडी में भी कामकाज ठप है।
मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य में आंदोलनकारी चिकित्सकों से भी अपना काम रोको आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया और कहा कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों का उपचार करना उनका ‘पवित्र दायित्व’ है।
अदालत ने शहर पुलिस को निर्देश दिया कि वह आज शाम तक केस डायरी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दे तथा बुधवार सुबह 10 बजे तक अन्य सभी दस्तावेज सुपुर्द कर दे।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली है और फॉरेंसिक वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ दिल्ली से एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम बुधवार को कोलकाता पहुंचेगी।
अदालत ने यह आदेश पीड़िता के माता-पिता द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका तथा सीबीआई को जांच हस्तांतरित करने की मांग वाली कई अन्य जनहित याचिकाओं पर पारित किया ।
उच्च न्यायालय का यह अंतरिम आदेश इस घटना के सामने आने के पांच दिन बाद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पुलिस को दी गई रविवार तक की जांच की समयसीमा से पांच दिन पहले आया है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर 18 अगस्त तक कोलकाता पुलिस मामले को सुलझाने में विफल रहती है, तो वह जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंप देंगी।
सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में शुक्रवार की सुबह स्नातकोत्तर महिला चिकित्सक का शव मिला। उसके शरीर पर गंभीर चोट के निशान थे। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसके साथ यौन हिंसा हुई थी।
कोलकाता पुलिस शनिवार को इस संबंध में सिविल वालंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार करने के बावजूद जांच में ढिलाई और साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोपों को शांत करने में विफल रही। इस घटना से राज्य के मेडिकल परिसरों और उससे आगे कनिष्ठ चिकित्सकों में आक्रोश पैदा हो गया है।
राज्य के चिकित्सकों के संयुक्त मंच ने आरजी कर अस्पताल की घटना के विरोध में बुधवार को राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी)में हड़ताल का आह्वान किया है।
पश्चिम बंगाल में कनिष्ठ चिकित्सकों और प्रशिक्षुओं ने घटना के विरोध में तथा अस्पताल कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग करते हुए मंगलवार को भी काम रोको आंदोलन किया।
अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि पांच दिन बीत जाने के बाद भी कोलकाता पुलिस द्वारा मामले की जांच में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। पीठ इस निष्कर्ष पर केस डायरी का अध्ययन करने और सभी संबद्ध पक्षकारों के सुनने के बाद पहुंची।
पीठ ने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य संदीप घोष की भूमिका सक्रिय नहीं थी। उन्होंने या अस्पताल अधीक्षक ने परिसर के अंदर हुई नृशंस मौत के लिए हत्या की शिकायत दर्ज कराने की कोई पहल नहीं की।
राज्य ने पहले कहा था कि पुलिस ने बलात्कार और हत्या के बजाय अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया, क्योंकि तत्काल कोई शिकायत नहीं मिली थी।
अदालत ने फटकार लगाने के बाद घोष को लंबी छुट्टी पर जाने को कहा।
अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि सोमवार को अपने शिक्षण और प्रशासनिक पदों से इस्तीफा देने के महज कुछ ही घंटों बाद उन्हें शहर के एक अन्य मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर बहाल कर दिया गया।
बाद में ज्ञात हुआ कि घोष ने कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (सीएनएमसीएच) में प्रधानाचार्य नियुक्त होने के 24 घंटे से भी कम समय बाद काम से 15 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया था।
अदालत ने घोष को अगले आदेश तक काम पर आने से मना कर दिया और अगली सुनवाई की तारीख तीन सप्ताह बाद तय की। साथ ही राज्य सरकार से मामले की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की।
इस बीच, सीएनएमसीएच के आंदोलनकारी चिकित्सकों ने घोष को उनके कार्यालय में प्रवेश से रोकने के लिए प्रशासनिक भवन के प्रवेश द्वार पर ताला जड़ दिया। चिकित्सकों ने कहा कि वे न केवल इस नियुक्ति का विरोध करेंगे, बल्कि यह भी मांग करेंगे कि उन्हें उनके शेष कार्यकाल के लिए सभी प्रशासनिक पदों से दूर रखा जाए।
मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राज्य संचालित अस्पतालों में महिला चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कथित विफलता के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अधिकारी ने आम लोगों से अपील की कि वे राज्य का गृह और स्वास्थ्य विभाग भी संभाल रही बनर्जी से इस्तीफे की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरें। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के वास्ते 14 अगस्त को कोलकाता में धरना देंगे।
इससे पहले, राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम की ओर से प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से काम पर लौटने और अस्पतालों में सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील की गई, जिसे चिकित्सकों ने नजरअंदाज कर दिया।
निगम ने निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा देने के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि सरकार ‘‘चिकित्सा पेशेवरों की गरिमा को बनाए रखेगी।’’
कोलकाता की सड़कों पर लगातार तीसरे दिन विभिन्न समूहों की ओर से विरोध रैलियां निकाली गईं। ऐसी ही एक रैली उत्तर कोलकाता के श्यामबाजार में बुद्धिजीवियों के एक मंच ने निकाली, जिसमें प्रसिद्ध फिल्मकार अपर्णा सेन भी शामिल हुईं।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप