नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया है कि अधिकरण के समक्ष उपस्थित न होने पर उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पर लगाया गया जुर्माना अदा कर दिया गया है।
एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को शाहदरा नाले में जमा हो रहे सीवर के अपशिष्ट जल और अन्य ठोस अपशिष्टों से संबंधित मामले में हरित अधिकरण के समक्ष उपस्थित होने और सहायता करने का निर्देश दिया था।
उनके उपस्थित न होने पर, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की एनजीटी पीठ ने चार सितंबर के आदेश में कहा, “हमें डीजेबी के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट देने का कोई बेहतर आधार नहीं मिला और जिस कमजोर बहाने के चलते वह आज उपस्थित नहीं हुए, वह मामले में कड़ी कार्रवाई को उचित ठहराता है।”
इसके बाद एनजीटी ने डीजेबी के सीईओ पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था और कहा था कि इस आचरण को माफ करने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन वह डीजेबी के वकील के अनुरोध पर विचार कर रही है।
एनजीटी में सोमवार को दाखिल अपनी रिपोर्ट में डीजेबी ने कहा कि उसने बोर्ड के सीईओ पर लगाए गए जुर्माने की राशि को भर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “ शाहदरा नाले के अंतर्गत आने वाली अधिकांश अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवर की व्यवस्था है। सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) के साथ-साथ सभी प्रमुख नालों में अवरोधक भी मौजूद हैं।”
इसमें कहा गया है कि यमुनापार क्षेत्र में आवश्यक सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) की क्षमता 184 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) है, लेकिन 149 एमजीडी ही मौजूद है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “ यमुना विहार एसटीपी के उन्नयन के लिए एक कार्य योजना पर काम चल रहा है, जिसके दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है। पूरा होने के बाद, शाहदरा नाले में अनुपचारित सीवरेज निपटान (जल) में काफी कमी आएगी और यमुना नदी में पानी की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।”
भाषा नोमान माधव
माधव
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