अब इन मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Divorced Muslim women will get alimony: अब इन मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

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  • Publish Date - July 11, 2024 / 11:52 AM IST,
    Updated On - July 11, 2024 / 11:52 AM IST

नई दिल्ली: Divorced Muslim women will get alimony सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हित में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। कोर्ट ने इस फैसले को उन मुस्लिम महिलाओं के लिए ये फैसला सुनाया है, जिनका तलाक हो चुका है और जो अकेले रहने को मजबूर है।

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Divorced Muslim women will get alimony आपको बता दें कि तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम युवक को अंतरिम तौर पर अपनी पूर्व पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। जिसके बाद इस आदेश को लेकर युवक ने सुप्रीम कोर्ट के पास गया। युवक ने अपनी याचिका में कहा कि मामले में गुजारा भत्ता 125 सीआरपीसी के बजाय मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 के प्रावधानों द्वारा शासित होना चाहिए। जिसके बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मुस्लिम युवक की याचिका खारिज की है।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन मुस्लिम महिलाओं को बड़ी सहायता मिलेगी जिनका तालक हो चुका है और जो अकेले रहने के लिए मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ ने आज इस मामले की विस्तृत सुनवाई करते हुए दो अलग-अलग लेकिन समवर्ती फैसले दिये हैं।

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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि CrPC की धारा 125 हर तरह से धर्मनिरपेक्ष है। चाहें कोई पति-पत्नी हिंदू हों या मुस्लिम, ईसाई हों या पारसी, ये प्रावधान सभी पर लागू हो सकता है। जिसमें ये माना गया कि मुस्लिम तलाकशुदा महिला CrPC की धारा 125 के तहत अपना भरण-पोषण मांगने की हकदार है।

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क्या है सीआरपीसी की धारा 125?

सीआरपीसी की धारा 125 में महिलाओं, बच्चों और माता-पिता को मिलने वाले गुजारा भत्ता का प्रावधान किया गया है। नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में ये प्रावधान धारा 144 में किया गया है।

ये धारा कहती है कि कोई भी पुरुष अलग होने की स्थिति में अपनी पत्नी, बच्चे और माता-पिता को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकता. इसमें नाजायज लेकिन वैध बच्चों को भी शामिल किया गया है। धारा साफ करती है कि पत्नी, बच्चे और माता-पिता अगर अपना खर्चा नहीं उठा सकते तो पुरुष को उन्हें हर महीने गुजारा भत्ता देना होगा। गुजारा भत्ता मजिस्ट्रेट तय करेंगे।

पत्नी को गुजारा भत्ता तब मिलेगा जब या तो वो खुद तलाक ले या उसका पति तलाक दे। गुजारा भत्ता तब तक मिलेगा जब तक महिला दोबारा शादी नहीं कर लेती।

इस धारा में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई पत्नी बिना किसी कारण के पति से अलग रहती है या किसी और पुरुष के साथ रहती है या फिर आपसी सहमति से अलग होती है तो वो गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं होगी।

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