लखीमपुर खीरी, तीन नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (डीएनपी) में सांप की दो दुर्लभ प्रजातियां पायी गयी हैं। इस खोज ने इस प्राणि उद्यान की पारिस्थितिकीय समृद्धि को एक बार फिर जाहिर किया है।
अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, हाल में डीएनपी में पेंटेड कीलबैक (ज़ेनोक्रोफिस सेरासोगास्टर) प्रजाति का सांप पाया गया है, जिसे उत्तर प्रदेश में आखिरी बार एक सदी पहले देखा गया था। इसके अलावा एक भूरे रंग का बेल सांप (अहेटुल्ला प्रसीना) भी देखा गया है जिसे पार्क के जंगलों में पहले कभी नहीं देखा गया था।
जीवविज्ञानी विपिन कपूर सैनी और अपूर्व गुप्ता ने कुछ हफ़्ते पहले दुधवा में नकौवा नाले के पास एक पेंटेड कीलबैक प्रजाति का सांप देखा था। हालांकि इस गैर विषैले सांप को मृत अवस्था में पाया गया था। संभवतः जंगली हाथियों के कुचलने से उसकी मौत हुई थी। मगर इसके पाये जाने से डीएनपी के जैव विविधता रिकॉर्ड में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गयी है।
सैनी ने कहा, ”117 वर्षों के अंतराल के बाद दुधवा में इस सांप की मौजूदगी वास्तव में चकित कर देने वाली थी। इस प्रजाति का सांप आखिरी बार साल 1907 में फैजाबाद क्षेत्र में देखा गया था।”
उन्होंने बताया कि हल्का विषैला माना जाने वाला भूरे रंग का बेल सांप कुछ महीने पहले सोनारीपुर रेंज में बांके ताल में कुछ नमूने एकत्र करते समय झाड़ियों के बीच में मिला था।
सैनी ने बताया, ”मैंने उस पतले और भूरे सांप की तस्वीर खींची। निरीक्षण के लिए उसे अपनी गोद में ले लिया और दस्तावेजीकरण के बाद उसे छोड़ दिया।”
उन्होंने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के विशेषज्ञ रोहित रवि के साथ किये गये परामर्श में इसकी पुष्टि हुई कि वह ‘अहेटुल्ला प्रसीना’ प्रजाति का भूरा सांपा है। दुधवा में पहली बार इसे देखा गया है।
अधिकारियों ने दुधवा की पारिस्थितिकी विविधता के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए इन खोजों की सराहना की है।
दुधवा बाघ अभयारण्य (डीटीआर) के क्षेत्र निदेशक ललित कुमार वर्मा ने कहा, ”दुधवा बार-बार नए वन्यजीवों की मौजूदगी के लिहाज से ‘हॉटस्पॉट’ साबित हुआ है। यह इसके पारिस्थितिकीय महत्व को दिखाता है।”
भाषा सं. सलीम शोभना नोमान
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