वायनाड में भूस्खलन प्रभावितों की मदद के लिए कांग्रेस की कथनी व करनी में अंतर : माकपा सदस्य का आरोप

वायनाड में भूस्खलन प्रभावितों की मदद के लिए कांग्रेस की कथनी व करनी में अंतर : माकपा सदस्य का आरोप

वायनाड में भूस्खलन प्रभावितों की मदद के लिए कांग्रेस की कथनी व करनी में अंतर : माकपा सदस्य का आरोप
Modified Date: March 25, 2025 / 05:55 pm IST
Published Date: March 25, 2025 5:55 pm IST

( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) राज्यसभा में केरल के माकपा सदस्य एए रहीम ने कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर होने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि वायनाड में भूस्खलन के बाद इस सदन के सहयोगियों ने ‘एमपीलैड’ की राशि से वहां के लोगों को सहयोग देने का फैसला किया था लेकिन वहां की वर्तमान सांसद ने एक रूपये का भी योगदान नहीं दिया।

राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा में अपनी बात रख रहे माकपा सदस्य रहीम ने कहा कि केरल में पिछले दो-तीन साल में अत्यधिक बारिश और चक्रवात जैसी आपदाएं आई हैं। उन्होंने कहा कि वायनाड में बीते बरस भीषण भूस्खलन हुआ। उन्होंने दावा किया कि केंद्र की ओर से मदद नहीं मिली लेकिन पीड़ितों के लिए राज्य में नया ‘टाउनशिप’ बसाया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि वायनाड में भूस्खलन के बाद इस सदन के सहयोगियों ने ‘एमपीलैड’ (संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) की राशि से वहां के लोगों को सहयोग देने का फैसला किया था लेकिन वायनाड की वर्तमान सांसद ने एक रूपये का भी योगदान नहीं दिया।

रहीम ने किसी का नाम नहीं लिया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वायनाड की सांसद हैं।

रहीम ने कहा कि वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने एक समय कहा था कि वायनाड के पास दो सांसद होंगे लेकिन यह केवल कहने की बात है।

उन्होंने कहा कि ‘एसडीआरएफ’ कोष विभिन्न राज्यों को केंद्र की ओर से आवंटित किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि 2024-25 में केरल को 291 करोड़ रुपये जबकि गुजरात को 1226 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 2000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए।

भाजपा के डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि विधेयक में प्राकृतिक आपदा के लिए जिम्मेदार कारकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘जल निकायों पर कहीं अतिक्रमण हो जाना और जल निकासी की व्यवस्था का बाधित होना बाढ़ का एक कारण है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि आपदाएं मानव जनित भी होती हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ काटने और जंगलों का सफाया करने की वजह से पर्यावरण असंतुलित हो जाता है और इसके नतीजे आपदा के रूप में सामने आते हैं।

बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने कहा कि आपदा की बात करते समय हमें जल प्रबंधन को भी ध्यान में रखना होगा क्योंकि आने वाले समय में जल संकट बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन संबंधित विभिन्न निकायों में विशेषज्ञ लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन कारणों से मानव निर्मित आपदा आती है तो उन ‘कारणों’ की जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। हाल ही में खदान और सुरंगों आदि में हुई दुर्घटनाएं इसका उदाहरण हैं।

उन्होंने कहा कि स्कूल कालेजों में आपदा प्रबंधन पर पाठ्यक्रम होना चाहिए।

जनता दल (यूनाइटेड) के संजय कुमार झा ने कहा कि इस विधेयक में शहरी बाढ़ को रोकने के लिए राज्य सरकार को राजधानी और नगर निगम वाले शहरों के लिए अलग से शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने का अधिकार दिया गया है। ‘‘यह एक सराहनीय कदम है।’’

उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए लंबित परियोजनाओं को भी समय रहते पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए।

भाकपा के पी संदोष कुमार ने कहा कि आपदा प्रबंधन के बाद राहत में राजनीतिक प्रतिशोध के लिए जगह नहीं होनी चाहिए जबकि विपक्ष शासित राज्यों के साथ ऐसा होता है।

शिवसेना (उबाठा) की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में मानव जनित आपदा को कानून व्यवस्था की स्थिति के साथ जोड़ा गया है तो पिछले दिनों महाकुंभ के दौरान नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की स्थिति पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

कांग्रेस की जेबी माथेर हीशम ने कहा कि आपदा प्रबंधन के दौरान पुनर्वास के लिए अगर सरकार यह शर्त रखती है कि दी गई राशि का एक नियत समय में उपयोग हो जाना चाहिए और नियत समय पर यह राशि वापस लौटाई जानी चाहिए तो यह सही नहीं है।

आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने वायनाड में हुए भूस्खलन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पुनर्वास के लिए केंद्र की मदद बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा कि लू के कारण देश में कई लोगों की जान जाती है और इससे बचाव के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

चर्चा में तमिल मनीला कांग्रेस के जीके वासन, भाजपा के चुन्नीलाल गरासिया और डॉ अनिल सुखदेव राव बोंडे ने भी हिस्सा लिया।

भाषा मनीषा अविनाश

अविनाश

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