(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मधुमेह नियंत्रण में बेहतर परिणाम हासिल करने के प्रयास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा है कि यह इतनी गंभीर बीमारी है कि इसे केवल चिकित्सा पेशेवरों पर नहीं छोड़ा जा सकता।
उन्होंने ‘इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ)’ के साथ मिलकर आयोजित ‘रिसर्च सोसायटी फोर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई)’ के 52वें वार्षिक सम्मेलन यह टिप्पणी की। बृहस्पतिवार को मधुमेह दिवस पर यह सम्मेलन प्रारंभ हुआ।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में 5,000 से अधिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्री विशेषज्ञ तथा प्रमुख वक्ता भारत में बढ़ती मधुमेह महामारी पर चर्चा करने के लिए जुटे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल देश में 10 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘जिस तरह अर्थशास्त्र इतना गंभीर विषय है कि इसे सिर्फ अर्थशास्त्रियों पर नहीं छोड़ा जा सकता, उसी तरह मेरा मानना है कि मधुमेह भी इतना गंभीर है कि इसे सिर्फ़ चिकित्सा पेशेवरों पर नहीं छोड़ा जा सकता। यह एक बहुत व्यापक मुद्दा है।’’
उन्होंने कहा कि मधुमेह की महामारी से निपटने के लिए एक सहयोगपरक प्रयास की आवश्यकता है जो चिकित्साकर्मियों के दायरे के पार जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि सही कहा गया है, यह व्यक्तियों और रोगियों, व्यक्तियों और चिकित्सकों, व्यक्तियों और परिवारों, व्यक्तियों और समाज के साथ-साथ निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच की बाधाओं को दूर करने और फासले खत्म करने की बात है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘मैं इन प्रयासों में सार्वजनिक -निजी भागीदारी बढ़ाने का प्रबल समर्थक रहा हूं। केवल ऐसी साझेदारियों के माध्यम से ही हम वास्तव में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।’’
सम्मेलन में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और आरएसएसडीआई द्वारा एक संयुक्त घोषणा की घोषणा भी की गई। यह घोषणा मधुमेह जागरूकता, रोकथाम और उपचार के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिबद्धता पर बल देती है।
इस बीच, आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. बी एम मक्कड़ ने कहा कि यह घोषणा मधुमेह से निपटने के लिए सहयोगपरक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, ‘‘आईडीएफ के साथ मिलकर हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं तक तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना, जनजागरण को बढ़ावा देना और इस बीमारी से जुड़े जोखिमों को कम करना है। हमारा मानना है कि स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, सरकारों और वैश्विक संगठनों को एकजुट करके, हम दुनिया भर में मधुमेह से प्रभावित लोगों के लिए परिणामों में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं।’
भाषा
राजकुमार माधव
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