नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस देने के एक दिन बाद बुधवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं और उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
विपक्षी दलों के नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि धनखड़ से कोई निजी दुश्मनी नहीं है, लेकिन संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए उन्हें नोटिस देने का कदम उठाना पड़ा।
इस संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी महासचिव जयराम रमेश, द्रमुक नेता तिरुची शिवा, तृणमूल कांग्रेस सांसद नदीमुल हक और सागरिका घोष, समाजवादी पार्टी के नेता जावेद अली खान, शिवसेना (उबाठा) के संजय राउत, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की फौजिया खान और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य मौजूद थे।
कांग्रेस नेता रमेश के अनुसार, आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हो सका क्योंकि इस संवाददाता सम्मेलन से ठीक पहले पार्टी को निर्वाचन आयोग से मिलने के लिए बुला लिया गया।
‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों ने ‘पक्षपातपूर्ण आचरण’ के चलते मंगलवार को जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस सौंपा था।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा कि आज तक किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ अनुच्छेद 67 के तहत प्रस्ताव नहीं लाया गया क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष रहे और राजनीति से दूर रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमको यह कहना पड़ता है कि आज नियम को छोड़कर राजनीति ज्यादा हो रही है।’’
खरगे ने कहा, ‘‘हमें अफसोस है कि संविधान को अंगीकार किए जाने के 75वें वर्ष में उपराष्ट्रपति के पक्षपातपूर्व आचरण के चलते हम यह प्रस्ताव लाने को मजबूर हुए हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि धनखड़ विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करते हैं।
खरगे ने कहा कि सभापति ‘‘हेडमास्टर’’ की तरह वरिष्ठ नेताओं को प्रवचन सुनाते हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘वह (धनखड़) अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं…गतिरोध का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति खुद हैं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि धनखड़ के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
खरगे ने कहा कि धनखड़ सार्वजनिक मंचों से सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ करते हैं, जबकि यह पद दलगत राजनीति से ऊपर का है।
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था, ‘‘आमतौर पर विपक्ष सभापति से संरक्षण मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं। लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जब विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, तो सभापति सत्तापक्ष के जवाब देने से पहले ही उनकी ढाल बनकर खडे़ रहते हैं।
खरगे का कहना था, ‘‘देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनके साथ हमारी कोई निजी दुश्मनी या राजनीतिक द्वेष नहीं है। हमने बहुत सोच-समझकर, देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के इरादे से मजबूरी में ये कदम उठाया है।’’
तृणमूल कांग्रेस के सांसद नदीमुल हक ने खरगे की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि धनखड़ का आचरण पक्षपातपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सभा के सभापति का विपक्ष के प्रति व्यवहार ठीक नहीं है। सत्तापक्ष को बोलने का पूरा मौका दिया जाता है, लेकिन हमें बोलने का मौका मिलते ही सदन स्थगित कर दिया जाता है। ये व्यवहार पूरी तरह से पक्षपात को दर्शाता है।’’
समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने दावा किया कि राज्य सभा के अंदर विपक्ष की मौजूदगी को सभापति जी ने पूरी तरह से नकार दिया है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘राज्यसभा का यह मेरा दूसरा कार्यकाल है जिसको ढाई साल हो चुके हैं। पिछले ढाई वर्षों में ‘नथिंग विल गो ऑन रिकॉर्ड’ (कार्यवाही में कुछ भी दर्ज नहीं होगा) को मैंने जितना इस सदन में सुना है, उतना पहले कभी नहीं सुना। विपक्ष के नेता कुछ भी कहना चाहें, तो आदेश जारी हो जाता है कि नथिंग विल गो ऑन रिकार्ड।’’
खान ने कहा, ‘‘इसलिए हमें मजबूरी में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है।’’
शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा लगता है कि सभापति संसद नहीं, बल्कि सकर्स चला रहे हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि धनखड़ सदन का सारा समय खुद खा जाते हैं और जो समय बचता है उसमें वह सत्तापक्ष के लोगों ‘उकसाते’ हैं।
द्रमुक नेता शिवा ने कहा, ‘‘सदन का नेता और विपक्ष का नेता संसद में दो मुख्य स्तंभ हैं। जैसा कि अतीत में होता आया है, जब भाजपा विपक्ष में होती थी और विपक्ष के नेता बोलने के लिए खड़े होते थे, तो तुरंत उन्हें मौका दे दिया जाता था और कोई भी बीच में नहीं बोल सकता था। लेकिन आज जब भी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे जी बोलने के लिए खड़े होते तो सत्तापक्ष टोक देता और माइक बंद कर दिया जाता।’’
उन्होंने दावा किया कि जब भी सत्तापक्ष की ओर से कोई बोलना चाहता है उसे बोलने के लिए मंच दिया जाता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज दबा दी जाती है।
भाषा हक
हक माधव
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