नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि विकासशील देशों को 2030 तक अपने विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की जरूरत है, और पूर्व में विकसित देशों द्वारा वादा किया गया 100 अरब अमेरिकी डॉलर ‘‘बहुत छोटी’’ राशि है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित 19वें ‘सततता शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित देशों, जो ज्यादातर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार हैं, ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए विकासशील देशों को 100 अरब अमेरिकी डॉलर और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का संकल्प लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वे दोनों मोर्चों पर नाकाम हो गए…अब, विकासशील देशों को पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकता है। 100 अरब अमेरिकी डॉलर बहुत छोटी रकम है।’’
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इथोपिया जैसे गरीब देश यदि विकसित देशों की उपभोग पद्धति को अपनाते हैं, तो वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए सात पृथ्वी के संसाधनों की आवश्यकता होगी।
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत में उपभोग की पद्धति अफ्रीकी देशों के समान है, क्योंकि उनकी सतत जीवनशैली है।
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को अपने नागरिकों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के वास्ते विकास कार्यों को लेकर ऊर्जा की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मध्यम आय वाले और गरीब देशों को वित्तीय सहायता देना, बाकू में होने वाले आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन का मुख्य मुद्दा होगा। सम्मेलन में देशों को नये सामूहिक लक्ष्य को अंतिम रूप देना होगा।
भाषा सुभाष माधव
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