नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा में सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी आने के बावजूद उसने देश की जनता को उसका कोई फायदा नहीं दिया।
सिंह ने तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले डीजल 40 रुपये और पेट्रोल 50 रुपये प्रति लीटर बेचने का वादा कर रही थी जबकि उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 135 डॉलर प्रति बैरल थी।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गयी लेकिन सरकार ने लोगों को कोई राहत नहीं दी। उन्होंने कहा, ‘‘आपने महंगा तेल बेचकर देश की जनता का तेल निकाल दिया…।’’
सिंह ने आरोप लगाया कि यह विधेयक राज्य सरकारों के अधिकारों को छीनने वाला और ज्यादातर अधिकार केंद्र को सौंपने वाला है। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक के प्रावधान देश के संघीय ढांचे पर चोट पहुंचाने वाले हैं जिससे आने वाले समय में केंद्र का राज्यों के साथ विवाद बढ़ेगा।
भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने तेल क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना करते हुए कहा कि दुनिया में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पिछले कुछ साल में वैश्विक संकट के बावजूद तेल की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत कमी आयी है।
उन्होंने इस विधेयक को दूरदृष्टि वाला कानून बताया और कहा कि इससे आने वाले समय में चुनौतियों के समाधान में मदद मिलेगी और तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल होगी।
भाजपा की ही कल्पना सैनी ने कहा कि इस विधेयक से तेल क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर आयात पर निर्भरता घटेगी वहीं ऊर्जा क्षेत्र में सुधार भी होगा तथा निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
भाकपा सदस्य पीपी सुनीर ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए निवेश के नाम पर देश के संसाधनों को कार्पोरेट क्षेत्र को सौंपने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विधेयक से सरकार की कथनी और करनी में अंतर भी दिखता है।
राकांपा (शरदचंद्र पवार) की फौजिया खान ने तेल क्षेत्र में फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं पर रोक लगाने की मांग की।
चर्चा में अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरै, भाजपा के सिकंदर कुमार, महेंद्र भट्ट, संजय सेठ और माकपा के डॉ वी शिवदासान आदि ने भी भाग लिया।
भाषा अविनाश मनीषा
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