श्रीनगर, तीन जनवरी (भाषा) कश्मीर के बड़े हिस्से में घना कोहरा छाया रहा और दृश्यता लगभग 300 मीटर रह जाने के कारण श्रीनगर हवाई अड्डे पर उड़ानों का परिचालन प्रभावित हुआ। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि घाटी के अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान में कुछ वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि कश्मीर में घना कोहरा छाने के कारण हवाई यात्रा प्रभावित हुआ और दृश्यता के 300 मीटर तक गिर जाने से कई उड़ानों के परिचालन में देरी हुई जबकि यहां से एक सेवा का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया।
उड़ान संचालन के लिए दृश्यता लगभग 1,100 मीटर होनी चाहिए।
अधिकारियों के अनुसार, दोपहर में दृश्यता में सुधार के बाद हवाई अड्डे पर परिचालन फिर से शुरू हो गया और सुबह की पहली उड़ान श्रीनगर में 11 बजकर 48 मिनट पर उतरी।
उन्होंने बताया कि कोहरे के कारण लोगों को आवागमन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
मौसम विभाग ने बताया कि शुक्रवार को ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर हल्की बर्फबारी हो सकती है।
शनिवार को पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से जम्मू कश्मीर के अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम बर्फबारी के आसार है। सोमवार सुबह तक इसकी संभावना बहुत अधिक रहेगी।
कश्मीर के अधिकतर स्थानों पर रात के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मौसम विभाग ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में ‘स्कीइंग’ के लिए मशहूर पर्यटक स्थल गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण कश्मीर में वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
श्रीनगर में तापमान शून्य से 2.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि पिछली रात यह शून्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस नीचे था।
मौसम विभाग ने बताया कि कश्मीर के प्रवेश द्वार काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 7.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया और ये घाटी में सबसे अधिक ठंडा स्थान रहा। पंपोर शहर के कोनीबल में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
विभाग ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि दक्षिणी कश्मीर के कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
वर्तमान में कश्मीर घाटी ‘चिल्ला-ए-कलां’ (सर्वाधिक ठंड की अवधि) की चपेट में है। इसे सर्दियों का सबसे कठिन समय माना जाता है, जो 21 दिसंबर से शुरू हुआ था।
‘चिल्ला-ए-कलां’ की 40 दिनों की अवधि के दौरान सबसे अधिक बर्फबारी होती है।
‘चिल्ला-ए-कलां’ अगले साल 30 जनवरी को खत्म हो जाएगा, लेकिन शीतलहर जारी रहेगी। 40 दिनों के ‘चिल्ला-ए-कलां’ के बाद 20 दिवसीय ‘चिल्ला-ए-खुर्द’ और 10 दिन का ‘चिल्ला-ए-बच्चा’ भी होगा जब घाटी में ठंड में धीरे-धीरे कमी आएगी।
भाषा यासिर नरेश
नरेश